दतिया | जिले को बाल भिक्षावृत्ति से मुक्त बनाने की दिशा में जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े के निर्देश पर 20 दिवसीय जनजागरूकता अभियान की शुरुआत सोमवार को इंदरगढ़, रतनगढ़ और सेवढ़ा कस्बों से हुई। इस दौरान जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल कल्याण समिति के संयुक्त तत्वावधान में रेस्क्यू अभियान चलाया गया और बच्चों से भीख मंगवाने वालों के खिलाफ सख्त संदेश दिया गया।
टीमों ने मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों और बाजार क्षेत्रों में भ्रमण कर आमजन, दुकानदारों और बच्चों के परिजनों से संवाद किया। “भीख देना नहीं, शिक्षा देना जरूरी है” जैसे संदेशों के साथ लोगों को जागरूक किया गया कि भीख देना बाल अधिकारों का हनन और अपराध को बढ़ावा देना है।
कानून तोड़ने पर सजा तय
बाल कल्याण समिति के सदस्य रामजीशरण राय ने मौके पर बताया कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 के तहत बच्चों से भीख मंगवाना दंडनीय अपराध है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 5 साल की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाज की ज़िम्मेदारी है कि वह ऐसे बच्चों को स्कूल भेजने में मदद करे न कि उन्हें सड़क पर धकेले।
परिजनों की हुई काउंसलिंग
रेस्क्यू के दौरान बाल संरक्षण अधिकारियों ने भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों के माता-पिता की काउंसलिंग की। उन्हें शासन की शिक्षा, पोषण और पुनर्वास योजनाओं की जानकारी दी गई और कहा गया कि वे अपने बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाएं और बाल संरक्षण कार्यालय में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करें ताकि उन्हें शासकीय सहायता मिल सके।
सक्रिय रहा प्रशासनिक अमला
अभियान के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग, विधिक सेवाएं प्राधिकरण और बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी संयुक्त रूप से उपस्थित रहे। अभियान में धीरसिंह कुशवाह, बृजेंद्र सिंह कौरव, कुश मिश्रा, आकाश श्रीवास्तव, कमलेश आदिवासी सहित कई अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे।
भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने का संकल्प
यह अभियान अगले 20 दिनों तक जिले के अन्य क्षेत्रों में भी चलाया जाएगा। अधिकारी मानते हैं कि सामाजिक भागीदारी और सख्त कानूनी कार्रवाई के जरिए ही बाल भिक्षावृत्ति जैसी सामाजिक कुरीति को खत्म किया जा सकता है।
