भोपाल | राजधानी भोपाल में सोमवार को मंत्रालय में ‘निर्मल नर्मदा योजना’ की समीक्षा बैठक हुई। इस दौरान नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी शामिल रहें। जिन्होंने बताया कि नर्मदा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की जीवनरेखा है। इसे साफ और बहता हुआ बनाए रखना सरकार की पहली जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार की हरसंभव मदद ली जाएगी।
इसमें मंत्री ने बताया कि योजना के पहले चरण के लिए 2,459 करोड़ रुपए की तैयारी हो चुकी है। इसमें नर्मदा किनारे बसे शहरों में सीवरेज प्लांट बनाने और गंदा पानी रोकने पर खास ज़ोर रहेगा।
विजयवर्गीय ने अफसरों से कहा कि काम शुरू करने से पहले खुद मौके पर जाकर सर्वे करें और देखें कि कहाँ क्या ज़रूरत है। ग्रामीण विकास, जल संसाधन और नर्मदा घाटी विकास जैसे विभागों के साथ मिलकर योजना को अमल में लाया जाए। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इलाकों से निकलने वाला गंदा पानी नर्मदा में न जाए, इसके लिए ट्रीटमेंट जरूरी है।
परिक्रमा स्थलों पर भी हो काम
मंत्री ने निर्देश दिए कि नर्मदा किनारे बसे धार्मिक स्थलों और परिक्रमा मार्गों का भी सर्वे हो। यहां भी गंदे पानी के निपटान और टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजना बनाई जाए। नगरीय विकास आयुक्त संकेत भोंडवे ने बताया कि यह योजना साल 2025 को ध्यान में रखकर बनाई गई है। कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा घरों को सीवरेज सिस्टम से जोड़ा जाए।
नदी किनारे पौधरोपण
बैठक में तय हुआ कि नर्मदा किनारे के सभी नगर निकाय पौधरोपण का बड़ा अभियान चलाएं। वहीं, सीवरेज ट्रीटमेंट के बाद निकलने वाले साफ पानी को खेती और उद्योगों में दोबारा इस्तेमाल करने की व्यवस्था हो।
प्रदेश की जीवनरेखा निर्मल नर्मदा के लिये केन्द्र से ली जाएगी पूरी मदद : नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय
🔷₹2459 करोड़ की तैयार की गई है पहले चरण की योजना
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— Urban Administration & Development Department, MP (@mpurbandeptt) July 14, 2025
क्या है निर्मल नर्मदा योजना?
इस योजना का मकसद नर्मदा नदी में जाने वाले गंदे पानी को पहले ट्रीट करना और फिर उसे दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाना है। योजना में 1077 किलोमीटर लंबी नर्मदा के किनारे बसे 54 शहरों और 818 गांवों को शामिल किया गया है। यह योजना कुल 27 जिलों में लागू होगी।
