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भोपाल के बड़े तालाब में तैरने लगे डल झील जैसे शिकारे, CM यादव ने की सैर; लिया स्थानीय व्यंजनों का स्वाद

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Published On: 4 December 2025

भोपाल के बड़े तालाब का नज़ारा आज से बिल्कुल बदल गया है। श्रीनगर की डल झील की याद दिलाने वाले 20 नए शिकारे अब तालाब की लहरों पर तैर रहे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इनका शुभारंभ किया और खुद शिकारे पर बैठकर सैर भी की। शिकारे शुरू होने के साथ ही शहर में वॉटर टूरिज़्म को लेकर नई उम्मीदें जग गई हैं। शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी भी मौजूद रहे। सैर के दौरान सीएम यादव ने शिकारा-बोट रेस्टोरेंट से चाय, पोहा, समोसे और फलों का नाश्ता लिया। इसके साथ ही, फ्लोटिंग बोट मार्केट से उन्होंने साड़ी और जैकेट भी खरीदी। यह पहला मौका है जब बड़े तालाब पर इतना बड़ा वॉटर-टूरिज़्म सेटअप तैयार हुआ है।

बोट क्लब पर आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी शामिल हुए। सरकार ने सभी दलों के विधायकों को बुलावा दिया था, लेकिन कांग्रेस की ओर से केवल नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार पहुंचे। सिंघार ने कहा कि अच्छा काम होगा तो सरकार की सराहना की जाएगी। उनका यह बयान पूरे कार्यक्रम में चर्चा का केंद्र रहा।

बना टूरिस्ट आकर्षण

मुख्यमंत्री ने बताया कि ये सभी शिकारे कश्मीर की डल झील की शैली पर तैयार किए गए हैं। भोपाल में पर्यटकों का ठहराव बढ़ाना, वॉटर टूरिज़्म को गति देना और स्थानीय उत्पादों को नई पहचान दिलाना इसका मुख्य उद्देश्य है। बता दें कि इन शिकारों का संचालन मध्यप्रदेश पर्यटन निगम करेगा।

शिकारा राइड का किराया

  • शिकारे में एक बार में 4 से 6 लोग बैठ सकेंगे।
  • 4 लोगों के लिए 20 मिनट की सैर-300 रुपए
  • 6 लोगों के लिए 20 मिनट-450 रुपए

सुबह 9 बजे से सूर्यास्त तक ये सेवा उपलब्ध रहेगी। हर शिकारा लगभग 2.40 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है। सैर के दौरान नाविक पर्यटकों को बड़े तालाब के इतिहास और भोपाल की विरासत से भी रूबरू कराएंगे।

पर्यावरण को नुकसान नहीं

इन सभी 20 शिकारों का निर्माण अत्याधुनिक और प्रदूषण रहित तकनीक से किया गया है। फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन (FRP) और अन्य नॉन-रिएक्टिव सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, जो पानी के साथ किसी भी रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं करती। तालाब की पारिस्थितिकी पूरी तरह सुरक्षित रहे, इसका खास ध्यान रखा गया है। शिकारे बनाने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर चुकी है और केरल, बंगाल व असम में भी इस तरह के शिकारे तैयार कर चुकी है।

इन शिकारों के शुरू होने के बाद बड़े तालाब का आकर्षण और बढ़ गया है। स्थानीय लोग ही नहीं, बाहरी पर्यटकों के लिए भी यह नया अनुभव शहर के पर्यटन को नई पहचान देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में भोपाल को वॉटर-टूरिज़्म की राजधानी बनाने की दिशा में और कई प्रोजेक्ट लागू किए जाएंगे।

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