मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए भावांतर योजना लागू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को उनकी उपज का पूरा मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। योजना के तहत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी भाव के बीच का अंतर सीधे उनके खातों में दिया जाएगा।
प्रशासनिक अमले को जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने समत्व भवन से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि वे किसानों को योजना का लाभ दिलाने के लिए ठोस व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर प्रशासनिक अमले को दायित्व दिए जाएं और किसी भी स्तर पर गड़बड़ी न हो। सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों से अपील की गई कि वे योजना का प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से करें।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
सोयाबीन किसानों के लिए ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन की प्रक्रिया 10 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक चलेगी। योजना की अवधि 1 नवंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तय की गई है। पंजीकृत किसानों और उनके रकबे का सत्यापन राजस्व विभाग करेगा। पंजीकरण के समय दर्ज बैंक खातों में सीधे राशि ट्रांसफर की जाएगी।
सोयाबीन के किसानों के लिए हमने भावांतर योजना लागू की है और साथ ही जिन किसानों की फसलें खराब हुई हैं वहां सर्वे कराकर पूरी मदद की जाएगी
-डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री @DrMohanYadav51 @CMMadhyaPradesh@AgriGoI @minmpkrishi #CMMadhyaPradesh #MadhyaPradesh… pic.twitter.com/i99TcKvNdm
— Jansampark MP (@JansamparkMP) September 27, 2025
ऐसे मिलेगा लाभ
भावांतर योजना में यदि किसान अपनी उपज औसत मंडी भाव पर बेचता है और वह एमएसपी से कम है, तो दोनों के अंतर की राशि राज्य सरकार देगी। उदाहरण के तौर पर यदि मंडी भाव 4600 रुपये प्रति क्विंटल और एमएसपी 5328 रुपये है, तो किसान को 728 रुपये का अंतर सीधे खाते में मिलेगा। इस तरह किसान को उसकी उपज का मूल्य एमएसपी के बराबर सुनिश्चित होगा।
ये लोग रहे मौजूद
वीडियो कॉन्फ्रेंस में मंत्री, सांसद, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी जुड़े। सभी ने मुख्यमंत्री को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि यह योजना किसानों को सोयाबीन उत्पादन का पूरा लाभ दिलाने में सहायक होगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को समय पर सही मूल्य मिले, इसकी नियमित मॉनिटरिंग की जाए। योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया गया ताकि कोई पात्र किसान लाभ से वंचित न रह सके।