MP की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। इस बार मुद्दा है स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां और उस पर उठ रहे आरोप। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने हाल ही में तीखे शब्दों में सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकारी-हत्याएं सबसे निर्मम होती हैं, क्योंकि ये न उम्र देखती हैं और न ही मासूम सांसों को छोड़ती हैं। पटवारी का सीधा इशारा उन घटनाओं की ओर था, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही के कारण लोगों की जान गई।
पटवारी ने सवाल खड़ा किया कि जब अस्पतालों में इलाज की कमी से बच्चे और बुजुर्ग दम तोड़ देते हैं, तो क्या इसका बोझ केवल स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे से हल्का हो जाएगा? उन्होंने कहा कि असल समस्या सिस्टम की है, जिसे सरकार छिपाने की कोशिश करती है।
त्यागपत्र से खत्म नहीं होगी जिम्मेदारी
पटवारी ने कहा कि यह अक्षम्य अपराध है और सत्ता इसे केवल औपचारिक इस्तीफों से हल्का नहीं कर सकती। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जनता सबूत देख रही है और अब चुप नहीं बैठेगी। हर मौत के पीछे जिम्मेदारी तय होगी और जिम्मेदारों को जवाब देना ही होगा।
कांग्रेस ने बढ़ाया दबाव
इस पूरे मामले पर कांग्रेस संगठन ने भी सरकार को घेरा। पार्टी नेताओं ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की स्थिति लंबे समय से चरमराई हुई है। डॉक्टरों की कमी, दवाइयों की अनुपलब्धता और अस्पतालों में कुप्रबंधन ने गरीब जनता की जिंदगी को जोखिम में डाल दिया है।
जीतू पटवारी ने साफ कहा कि सरकार नींद में सोई हुई है और जब तक बड़े स्तर पर सुधार नहीं किए जाते, तब तक प्रदेश के लोग असुरक्षित ही रहेंगे।
सत्ता के लिए चेतावनी
कांग्रेस नेताओं ने सरकार को आगाह किया कि जनता का गुस्सा अब थमने वाला नहीं है। चुनावी साल में ऐसे हालात भाजपा सरकार के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। पटवारी ने कहा कि यह मुद्दा केवल राजनीति का नहीं है, यह इंसानियत का है। अगर सरकार को शर्म है, तो सुधार की शुरुआत तुरंत करनी होगी।
