भोपाल में चल रहा आलमी तब्लीगी इज्तिमा सोमवार को भावुक माहौल के बीच खत्म हो गया। समापन पर हुई दुआ-ए-खास के दौरान पूरा मैदान खामोशी और रूहानियत से भर गया। मौलाना साद साहब ने हाथ उठाकर ऐसी दुआ करवाई कि हजारों लोग आंखें नम कर बैठ गए। मौलाना ने दुआ की शुरुआत इंसानियत और मोहब्बत से की। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा जरूरत एक-दूसरे के लिए रहमत और नरमी की है। इंसानों के दिल साफ हों, नफरतें दूर हों और लोग भाईचारे के साथ जिएं इसी बात की ताकीद उन्होंने बार-बार की। उन्होंने अल्लाह से गुजारिश की कि गुनाहों को माफ करे और उम्मत को सही रास्ते पर चलने की हिदायत दे।
मौलाना साद ने दुआ में कहा कि इंसान को हक पर कायम रहने की हिम्मत मिले। दिलों में नेकी और रहमत पैदा हो। उन्होंने यह भी दुआ की कि हम सबको हजरत मोहम्मद साहब की सुन्नतों पर चलने वाला बना और हमारे सब्र को कुबूल फरमा।
बरसाए रहमत
इसके साथ ही मौलाना ने दीनी तालीम के केंद्रों मदरसों की हिफाजत के लिए भी दुआ की। उन्होंने बीमारों की शिफा और उन लोगों की मदद की अरज की जिन पर नाहक मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अल्लाह सबकी मुश्किलें आसान करे, हर घर में सुकून दे और अपनी रहमतें बरसाए। दुआ के दौरान पूरा मैदान हजारों आवाजों से भर गया, हर कोई अपने तरीके से रब से मांग रहा था। कई लोग अपने हाथ में दुआ की तस्बीह लिए बैठे थे, तो कई बच्चे अपने बुजुर्गों के साथ कंधे से कंधा लगाए खड़े थे।
दुनिया में सबसे बड़ी ताकत
इज्तिमा प्रबंधन के मुताबिक, इस बार 10 से 12 लाख के बीच जायरीन शामिल हुए। देश की अलग-अलग जगहों से आए लोग अब अपने-अपने शहरों की ओर लौट रहे हैं। इज्तिमा खत्म होते ही सड़कों पर लंबे काफिले दिखने लगे और व्यवस्थाएं भी इसी हिसाब से की गईं। इस बार का इज्तिमा अमन, मुहब्बत और इंसानियत के संदेश के साथ खत्म हुआ। दुआ-ए-खास ने लोगों के दिलों में सुकून भरा और यह याद दिलाया कि दुनिया में सबसे बड़ी ताकत एक-दूसरे के लिए मोहब्बत और रहमत ही है।
