अजाक्स के प्रांताध्यक्ष और सीनियर IAS अधिकारी संतोष वर्मा अपने विवादित बयान को लेकर घिरते जा रहे हैं। वर्मा ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने बताया कि उनका भाषण 27 मिनट का था, लेकिन सिर्फ 2 सेकंड की क्लिप चलाकर गलत तरीके से प्रचारित किया गया। वर्मा ने खेद जताते हुए कहा कि उनका किसी की भावना आहत करने का इरादा नहीं था।
बयान ने बढ़ाया बवाल
अजाक्स के कार्यक्रम में वर्मा को प्रांताध्यक्ष चुना गया था। इसी दौरान उन्होंने कहा था कि जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। इस बयान के बाद प्रतिक्रिया का तूफान खड़ा हो गया है। सपाक्स के राष्ट्रीय संयोजक हीरालाल त्रिवेदी ने इसे बेहद निकृष्ट बयान बताया। उन्होंने कहा कि जो अपनी और दूसरों की बेटियों में फर्क करे, उसके लिए कोई शब्द नहीं है। त्रिवेदी ने मांग की कि ऐसे लोगों का बहिष्कार होना चाहिए और सरकार को तुरंत इन्हें पद से हटाना चाहिए।
51 हजार इनाम का ऐलान
बयान पर नाराजगी जताते हुए राष्ट्रीय सनातन सेना के अध्यक्ष भगवती प्रसाद शुक्ल ने इसे समाज को बांटने वाला बयान बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने वाले लोगों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। शुक्ल ने तो यहां तक कह दिया कि जो भी वर्मा का ‘मुंह काला’ करेगा, उसे 51 हजार रुपए इनाम दिया जाएगा। IAS वर्मा के बयान के विरोध में आज मंत्रालय में प्रदर्शन की तैयारी है। सवर्ण कर्मचारियों का समूह उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल को ज्ञापन सौंपेगा। मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा कि वे IAS सर्विस रूल के उल्लंघन के आधार पर वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।
विरोध जारी
विवाद बढ़ता ही जा रहा है। कई संगठनों ने बयान की आलोचना की है। भोपाल हिंदू उत्सव समिति और संस्कृति बचाओ मंच ने भी इस टिप्पणी को समाज के लिए अपमानजनक बताया और सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्र ने कहा कि जिस सरकार में बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ जैसे अभियान चलाए जाते हों, वहां एक अधिकारी द्वारा बेटियों पर ऐसी टिप्पणी करना बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि जब तक वर्मा को निलंबित कर गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक ब्राह्मण समाज शांत नहीं बैठेगा। विवाद लगातार बढ़ रहा है और अब सबकी निगाहें सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
