मध्यप्रदेश में चल रही स्मार्ट मीटर योजना को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने रविवार को बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह “स्मार्ट मीटर नहीं बल्कि स्पाई मीटर” है, जिससे आम नागरिकों की निजी जानकारी और हर घर की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है। भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंघार ने कहा कि यह मामला सिर्फ बिजली बिल बढ़ने का नहीं, बल्कि राज्य और देश की सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने सरकार से तत्काल इस परियोजना की जांच कराने और जवाब देने की मांग की।
उमंग सिंघार ने कहा कि इस परियोजना में शामिल कंपनी Alfanar के कई अधिकारी पाकिस्तानी नागरिक हैं। कंपनी ने पाकिस्तान सरकार के साथ समझौता भी किया है। इसके अलावा परियोजना के दो प्रमुख अधिकारी जीएम जहर इकबाल शाह और नईम अब्बास पाकिस्तान के नागरिक हैं।
उठाया सवाल
सिंघार ने सवाल उठाया कि जब DPIIT के नियम के अनुसार पाकिस्तान जैसी संवेदनशील देशों की कंपनियों के साथ व्यापारिक अनुबंध से पहले केंद्र की अनुमति जरूरी है, तो यह ठेका कैसे दिया गया?
18% ही मीटर इंस्टॉल
स्मार्ट मीटर परियोजना के तहत राज्य में करीब 1.33 करोड़ मीटर लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक सिर्फ 18.7% मीटर ही लगाए गए हैं। इसके बावजूद सरकार ने लगभग 2,000 करोड़ रुपए के ठेके जारी कर दिए हैं।
उन्होंने बताया कि अल्फानार कंपनी को पहले अयोग्य घोषित किया गया था, फिर भी पूर्व और मध्य डिस्कॉम ने उसे लगभग 2,000 करोड़ रुपए के ठेके दे दिए।
निगरानी का खतरा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि स्मार्ट मीटर के नाम पर लोगों से आधार, बैंक अकाउंट, जाति, और जमीन जैसी निजी जानकारियां ली जा रही हैं। यह सिर्फ मीटर नहीं, बल्कि हर घर में जासूस लगाने जैसा है। उन्होंने चेतावनी दी कि विदेशी कंपनियों के जरिए यह डेटा देश से बाहर भेजा जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
गोपनीयता के लिए खतरा है भाजपा का स्मार्ट मीटर!
– भारत पाक युद्ध में मोदी जी देशभर के लोगों से लाइट बंद करने की बात कर कर रहे थे, लेकिन अब वही बटन अब आपने पाकिस्तान के लोगों के हाथ में दे दिया।
– आजकल पूरा टेक्नोलॉजी का युग है एक बटन पर आप घरों की लाइट बंद कर सकते हो ।
ये… pic.twitter.com/aCKVcTaiSc— Umang Singhar (@UmangSinghar) October 6, 2025
सरकार से 5 सवाल
- पाकिस्तानी लिंक वाली कंपनी को ठेका क्यों दिया गया?
- DPIIT की अनुमति के बिना विदेशी साझेदारी कैसे हुई?
- अडाणी समूह द्वारा 49% हिस्सेदारी लेने के बाद जांच क्यों नहीं हुई?
- नागरिकों के डेटा की सुरक्षा कौन सुनिश्चित कर रहा है?
- राज्य स्तर पर कौन इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहा है?
सिंघार ने कहा, “यह मामला किसी पार्टी का नहीं, पूरे देश की सुरक्षा और नागरिकों की निजता का है। सरकार को जवाब देना ही होगा कि जनता के घरों में लग रहे ये मीटर कहीं जासूसी यंत्र तो नहीं।”
