मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बयानबाजी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के छिंदवाड़ा में दिए गए बयान पर जनजातीय कार्य राज्यमंत्री दुर्गादास उइके ने कड़ी आपत्ति जताई है। सिंघार ने कार्यक्रम के दौरान कहा था कि गर्व से कहो हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं। इस बयान के बाद सियासी गलियारों में गर्माहट बढ़ गई है।
छिंदवाड़ा में आयोजित आदिवासी विकास परिषद की जिला कार्यकारिणी बैठक और राष्ट्रीय करमडार पूजा कार्यक्रम में सिंघार ने आदिवासी समाज को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी। उन्होंने शबरी प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासी समाज को अपने उत्थान और अधिकारों के लिए खुद जिम्मेदारी उठानी होगी। उनका कहना था कि आदिवासी पहचान को गर्व के साथ अपनाना चाहिए।
समरसता को आघात पहुंचाने वाला बयान
राज्यमंत्री दुर्गादास उईके ने इस बयान को सामाजिक समरसता और एकता को तोड़ने वाला बताया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता का यह वक्तव्य केवल समाज को बांटने की कोशिश है, जिसका असर प्रदेश की शांति और सौहार्द पर पड़ सकता है। उईके ने मांग की कि सिंघार को तत्काल अपने बयान के लिए जनजाति समाज से माफी मांगनी चाहिए।
मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस आदिवासी समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है और चुनावी लाभ के लिए समाज को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। उनका कहना था कि आदिवासी समाज की पहचान और अस्तित्व भारत की संस्कृति से जुड़ा है और ऐसे बयानों से केवल राजनीतिक विवाद खड़े किए जा रहे हैं।
राजनीति में नया मोड़
सिंघार के इस बयान ने न केवल भाजपा नेताओं को आक्रामक किया है, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की टिप्पणी आदिवासी मतदाताओं को साधने की कोशिश हो सकती है, लेकिन इससे विवाद गहराने की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है। आने वाले दिनों में इस बयान पर और प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल सकती हैं।
प्रदेश की सियासत में आदिवासी वोट बैंक हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। ऐसे में सिंघार का बयान और उस पर मंत्री उईके की तीखी प्रतिक्रिया, दोनों ही संकेत देते हैं कि आदिवासी समाज को लेकर आने वाले समय में बड़ा राजनीतिक संघर्ष देखने को मिल सकता है।
