राजधानी के वन विहार नेशनल पार्क में मंगलवार को राज्य स्तरीय वन्यप्राणी सप्ताह का समापन हुआ। इस मौके पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग, इंसान द्वारा प्रकृति से की गई छेड़छाड़ का नतीजा है। उन्होंने कहा कि जहां भी जगह मिले, वहां पेड़ लगाना चाहिए। विकास के साथ ही पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण भी जरूरी है।
राज्यपाल ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही प्रकृति और मानव के सह-अस्तित्व की शिक्षा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वन और वन्यजीव हमारे पर्यावरण की रीढ़ हैं, जिनका संरक्षण नदियों, जंगलों और जलवायु के संतुलन से जुड़ा है।
बाउंड्रीवॉल पेड़
राज्यपाल पटेल ने गुजरात के कच्छ जिले के एक स्कूल का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां एक शिक्षक दंपती ने बच्चों के साथ मिलकर स्कूल की बाउंड्रीवॉल पेड़ों से बना दी। हर बच्चा अपने घर से बचा हुआ पानी स्कूल लाकर पौधों को सींचता था। चार साल में उन्होंने स्कूल को हरियाली से घेर लिया। उन्होंने कहा कि ऐसे छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि वे गुजरात में 18 साल तक वन मंत्री रहे हैं और मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में लगातार चार साल से इस कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं।
वार्षिक प्रतिवेदन
कार्यक्रम में राज्यपाल ने मध्यप्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी के वार्षिक प्रतिवेदन 2024-25, जैव विविधता बोर्ड के लेपल पिन बॉक्स, भोपाल बर्ड फेस्टिवल का पोस्टर, और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की ‘ग्रासेस ऑफ सतपुड़ा’ किताब सहित कई प्रकाशनों का लोकार्पण किया।
वन्यजीव संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सुरक्षाकर्मी गणेश राम, सचिन परसाई, कमलेश चतुर्वेदी और कृति जैन को सम्मानित किया गया। वहीं चित्रकला, फोटोग्राफी, मेहंदी, पाम पेंटिंग, फेस पेंटिंग और टोडलर वॉक जैसी प्रतियोगिताओं के 34 विजेताओं को पुरस्कार दिए गए।
मानवता का संरक्षण
राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि वन्यजीवों और जैव विविधता का संरक्षण ही मानवता का संरक्षण है। उन्होंने सभी से पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की रक्षा करने का संकल्प लेने की अपील की।
कार्यक्रम में प्रधान वन्यजीव संरक्षक शुभरंजन सेन, विधायक भगवानदास सबनानी, और वन विहार के डायरेक्टर विजय कुमार सहित कई अधिकारी और छात्र शामिल हुए। वन्यप्राणी सप्ताह के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं, कार्यशालाओं और ‘रन फॉर वाइल्डलाइफ’ दौड़ में करीब 2700 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।