बालाघाट/कटनी | मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध दर्ज कराया। पार्टी का कहना है कि सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतदाताओं के अधिकारों का हनन हो रहा है, जिसे वे लोकतंत्र की आत्मा पर सबसे बड़ा हमला मानते हैं। इसी मुद्दे पर गुरुवार को बालाघाट और कटनी में कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने मशाल रैली और कैंडल मार्च निकालकर अपना रोष जताया।
बालाघाट में मशाल रैली
बालाघाट में जिला कांग्रेस कमेटी ने ‘वोट चोरी’ के विरोध में मशाल रैली का आयोजन किया। रैली का नेतृत्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं बैहर विधायक संजय उइके ने किया। इस दौरान बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे, परसवाड़ा विधायक मधु भगत और वारासिवनी विधायक विवेक पटेल भी मौजूद रहे। कार्यकर्ताओं के हाथों में मशालें थीं और नारे लगाकर भाजपा तथा चुनाव आयोग के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया गया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हर नागरिक का वोट उसका बुनियादी अधिकार है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह अधिकार छीना जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि जनता की आवाज़ दबाने की किसी भी कोशिश का डटकर मुकाबला किया जाएगा।
कटनी में कैंडल मार्च
इसी कड़ी में कटनी में जिला कांग्रेस कमेटी ने कैंडल मार्च निकालकर शांतिपूर्ण विरोध जताया। इस कार्यक्रम में जिला कांग्रेस अध्यक्ष करण सिंह चौहान, पूर्व अध्यक्ष रजनी वर्मा और पूर्व विधायक सौरभ सिंह के साथ कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। कैंडल मार्च के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मौन रहकर यह संदेश दिया कि लोकतंत्र में जनता की इच्छा ही सर्वोपरि है और वोट चोरी जैसे कृत्य को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
वोट हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन BJP और चुनाव आयोग मिलकर जनता का अधिकार छीन रहे हैं। ये सीधे-सीधे लोकतंत्र पर हमला कर रहे हैं, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।
आज कटनी में वोट चोरी के विरुद्ध कैंडल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया गया।
इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्री करण… pic.twitter.com/nMfd47BASR
— MP Congress (@INCMP) August 14, 2025
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मतदाता सूचियों में हेरफेर, बूथ पर धांधली और प्रशासनिक उदासीनता, सब कुछ एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। उनका दावा है कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है और जनता की शक्ति को खत्म करने की रणनीति है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि वे इस लड़ाई को सड़कों से लेकर संसद तक और चुनाव आयोग के दफ्तर से लेकर न्यायालय तक लड़ेंगे।
