, ,

MP के हर जिले में बनेगा एकेडमिक ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी 4 हफ्ते में रिपोर्ट

Author Picture
Published On: 26 November 2025

MP हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश के निजी शैक्षणिक संस्थानों में काम करने वाले शिक्षकों के लिए बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा कि हर जिले में एकेडमिक ट्रिब्यूनल की व्यवस्था जरूरी है, ताकि शिक्षक अपनी समस्याओं और शिकायतों का समाधान आसानी से करा सकें। इस संबंध में कोर्ट ने प्रदेश सरकार से चार सप्ताह के भीतर विस्तृत प्रोग्रेस रिपोर्ट जमा करने को कहा है। यह पूरा मामला एक जनहित याचिका से शुरू हुआ, जिसमें याचिकाकर्ता ने निजी संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों की दिक्कतों को सामने रखा।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2002 के मशहूर फैसले टीएमए पे फाउंडेशन बनाम स्टेट ऑफ कर्नाटक का हवाला दिया गया था, जिसमें साफ कहा गया है कि हर जिले में एकेडमिक ट्रिब्यूनल बनाया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि इन निर्देशों का अब तक पालन नहीं हुआ है, जबकि यह शिक्षक हित में आवश्यक है।

हरियाणा मॉडल का दिया उदाहरण

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से हरियाणा सरकार का उदाहरण भी कोर्ट के सामने रखा गया। बताया गया कि हरियाणा ने 8 सितंबर 2025 को एक अधिसूचना जारी कर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को तकनीकी और गैर-तकनीकी शिक्षा संस्थानों के कर्मचारियों की अपील सुनने का अधिकार दे दिया है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस व्यवस्था को मध्यप्रदेश में भी लागू किया जा सकता है, ताकि शिक्षकों की समस्याएं लंबित न रहें।

ट्रिब्यूनल बनने तक अंतरिम व्यवस्था संभव

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि विधि विभाग ने 12 नवंबर 2025 को एक विस्तृत एसओपी तैयार कर रजिस्ट्रार जनरल को भेज दिया है, जिसके आधार पर प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। इस पर हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि जब तक राज्य स्तर पर एकेडमिक ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हो जाता, तब तक जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को अस्थायी रूप से अपील सुनने का अधिकार दिया जा सकता है। इससे शिक्षकों के केस लटके नहीं रहेंगे और उनका समाधान समय पर हो सकेगा।

14 जनवरी को अगली सुनवाई

हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि प्रदेश सरकार चार सप्ताह में ट्रिब्यूनल निर्माण की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे। इसी रिपोर्ट के आधार पर अगली सुनवाई 14 जनवरी 2026 को होगी। कोर्ट का यह कदम समझा जा रहा है कि राज्य में निजी शिक्षकों के हितों की सुरक्षा और विवादों के समाधान की दिशा में यह एक मजबूत शुरुआत साबित हो सकती है।

Related News
Home
Web Stories
Instagram
WhatsApp