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ग्वालियर में बदली अपराध की परिभाषा, अब हाईटेक पुलिस संभालेगी सुरक्षा की कमान

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Published On: 1 August 2025

ग्वालियर | MP का ग्वालियर-चंबल अंचल एक दौर में डकैतों और बीहड़ों के लिए जाना जाता था, लेकिन वक्त के साथ अपराध की परिभाषा भी बदल गई है। अब बंदूक नहीं, की-बोर्ड से वार हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि शहर में होने वाले कुल अपराधों में करीब 60% मामले साइबर क्राइम से जुड़े हैं। इसी बदलती चुनौती से निपटने के लिए अब ग्वालियर पुलिस को पूरी तरह हाईटेक किया जा रहा है।

इमरजेंसी सिस्टम में बदलाव

अब तक इमरजेंसी की स्थिति में लोग DIAL 100 का इस्तेमाल करते थे, लेकिन इस सेवा को अब अपग्रेड कर DIAL 112 में बदल दिया गया है। पहले जहां 45 जगहों पर FRV गाड़ियां तैनात रहती थीं, अब यह संख्या बढ़ाकर 54 कर दी गई है। पुराने वाहनों की जगह अब नई बोलेरो और स्कॉर्पियो गाड़ियां होंगी, जिनमें GPS ट्रैकिंग और डिजिटल वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम लगे होंगे। गाड़ियों की लोकेशन लाइव ट्रैक की जा सकेगी और फील्ड में तैनात जवान आपस में संपर्क में रह सकेंगे।

एक क्लिक पर जुड़ेगा पूरा सिस्टम

एक और बड़ा बदलाव यह है कि इंटीग्रेटेड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिसके तहत पुलिस, कोर्ट, अस्पताल और जेल सभी को एक साझा नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इससे केस की हर गतिविधि एक ही सिस्टम पर अपडेट होगी और कार्रवाई तेज़ होगी।अब तक साइबर अपराधों की जांच एक छोटी सी सेल करती थी, लेकिन अब ग्वालियर में पूरे अधिकारों के साथ एक अलग साइबर थाना बनेगा। यह थाना सभी लोकल थानों से जुड़ा रहेगा, जिससे साइबर अपराधों की जांच और रोकथाम में तेजी आएगी।

लगाए जा रहे CCTV कैमरे

शहर को हाईटेक निगरानी देने के लिए 450 नए CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं। इनमें से 217 कैमरों पर नियंत्रण पुलिस के पास होगा। साथ ही, ट्रैफिक नियमों पर नजर रखने के लिए 100 जगहों पर ANPR तकनीक वाले कैमरे लगाए जाएंगे, जो नंबर प्लेट पढ़कर उल्लंघन करने वालों की पहचान करेंगे।

ग्वालियर के एसएसपी धर्मवीर सिंह का कहना है कि यह बदलाव सिर्फ तकनीक का नहीं, बल्कि सोच का भी है। “अब हमें बीहड़ों की नहीं, डिजिटल अपराधियों की घेराबंदी करनी है। और इसके लिए पुलिस को भी डिजिटल योद्धा बनना होगा।”

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