ग्वालियर हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि “पुलिस विभाग एक ही वक्त में गरम और ठंडा रुख नहीं अपना सकता।” मामला पूर्व कॉन्स्टेबल रजनेश सिंह भदौरिया की बर्खास्तगी से जुड़ा है, जिसमें कोर्ट ने पहले ही सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था। अब जब राज्य शासन ने पुनर्विचार की मांग की, तो कोर्ट ने उसे भी ठुकरा दिया।
न्यायमूर्ति की एकल पीठ ने कहा कि जब पुलिस महानिदेशक (DGP) ने खुद हलफनामा देकर यह स्वीकार किया कि विभागीय जांच अधिकारी ने कोई तथ्य नहीं छिपाया, तो फिर सरकार का यह कहना कि अदालत को सही जानकारी नहीं दी गई, अपने ही बयान से पलटने जैसा है। कोर्ट ने इस रवैये को “विभागीय भ्रम” बताया।
अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि अगर रजनेश सिंह की बहाली से किसी तरह का आर्थिक नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई संबंधित अधिकारी से कराई जाए। कोर्ट ने कहा कि शासन की गलतियों का बोझ जनता के टैक्स के पैसे से नहीं उठाया जा सकता।
कोर्ट की टिप्पणी
“यदि पुलिस विभाग यह सोचता है कि वह अदालत के सामने तथ्य छिपा सकता है और यह अनुशासन के दायरे में आता है, तो यह बहुत गंभीर स्थिति है। विभाग एक ओर कहे कि सबकुछ बताया गया और दूसरी ओर कहे कि तथ्य छिपाए गए, यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
क्या है पूरा मामला?
कंपू स्थित एसएएफ बटालियन में पदस्थ कॉन्स्टेबल रजनेश सिंह को वर्ष 2012 में बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि विभागीय जांच में न तो सही अधिकारी नियुक्त किया गया और न ही अभियोजन पक्ष ने ठीक से काम किया। सुनवाई के दौरान जांच प्रक्रिया की खामियां सामने आईं और कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया।
अवमानना नोटिस भी जारी
इस मामले में पहले से जारी अवमानना कार्यवाही को अदालत ने अलग से जारी रखने का आदेश दिया है। यह नोटिस शैलेंद्र भारती, सहायक कमांडेंट 14वीं बटालियन एसएएफ ग्वालियर को जारी किया गया था। कोर्ट ने कहा कि इस फैसले का उस प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही, राज्य सरकार चाहे तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर सकती है।
