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ग्वालियर: ऑपरेशन में लापरवाही, मरीज की आंख गई खराब; डॉक्टर पर 1 लाख का जुर्माना

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Published On: 2 November 2025

ग्वालियर में एक बुजुर्ग मरीज की आंख की रोशनी चली जाने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने बड़ा फैसला सुनाया है। फोरम ने डॉक्टर को लापरवाही का दोषी मानते हुए मरीज को एक लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला 2021 में किए गए मोतियाबिंद ऑपरेशन से जुड़ा है, जिसमें डॉक्टर की गलती से मरीज की आंख में लेंस के टुकड़े रह गए थे। थाटीपुर इलाके के 77 साल के चतुर्भुज गुप्ता को मोतियाबिंद की परेशानी थी। मार्च 2021 में उन्होंने कन्हैयालाल विनोद कुमार मेमोरियल आई हॉस्पिटल में आंख की जांच कराई। वहां के डॉक्टर राकेश गुप्ता (जेएएच के पूर्व चिकित्सक) ने उन्हें ऑपरेशन की सलाह दी।

9 मार्च को ऑपरेशन कर दिया गया, लेकिन सर्जरी के बाद भी मरीज को साफ दिखाई नहीं देने लगा। जब दोबारा जांच कराई गई, तो पता चला कि ऑपरेशन के दौरान लेंस लगाने में लापरवाही हो गई थी। आंख के अंदर पोस्टेरियर कैप्सूल फट गया था और लेंस के कुछ हिस्से वहीं रह गए थे।

डॉक्टर ने तथ्य छिपाए

मरीज का कहना था कि ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने असली वजह नहीं बताई और कहा कि धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। 15 दिन बीत जाने के बाद भी जब हालत में सुधार नहीं हुआ, तो गुप्ता ने दूसरे डॉक्टर से जांच कराई। तभी पता चला कि आंख के अंदर लेंस के टुकड़े फंसे हुए हैं, जिससे स्थायी नुकसान हो गया। अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भी इस बात की पुष्टि की कि ऑपरेशन के दौरान गंभीर लापरवाही हुई थी।

फोरम ने कहा

मरीज ने इस पूरे मामले की शिकायत उपभोक्ता फोरम में की। सुनवाई के दौरान डॉक्टर की तरफ से यह तर्क दिया गया कि मोतियाबिंद ऑपरेशन में कुछ जटिलताएं सामान्य होती हैं और इसे लापरवाही नहीं कहा जा सकता। लेकिन आयोग ने डॉक्टर की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने न तो मरीज को संभावित जोखिमों की जानकारी दी, न लिखित सहमति ली और न ही समय पर किसी विशेषज्ञ को रेफर किया। यह साफ तौर पर लापरवाही की श्रेणी में आता है।

मरीज को मिलेगा मुआवजा

फोरम ने डॉक्टर को आदेश दिया कि वे मरीज को 1 लाख रुपए का मुआवजा 45 दिनों के भीतर दें। अगर भुगतान में देरी होती है तो इस रकम पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। इसके अलावा, मरीज को मानसिक पीड़ा के लिए 5,000 रुपए और केस के खर्च के रूप में 1,000 रुपए भी मिलेंगे। डॉ. राकेश गुप्ता ने अपने बचाव में कहा कि ऑपरेशन चिकित्सकीय मानकों के अनुसार किया गया था, लेकिन फोरम ने उनकी दलील को मानने से इनकार कर दिया।

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