ग्वालियर | शहर में मंगलवार को श्रद्धा, परंपरा और रहस्यमयी आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला। नागपंचमी के मौके पर ग्वालियर के प्राचीन नाग मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। छत्री बाजार, दौलतगंज, तारांगंज और मुरार के मंदिरों में भक्तों ने पूजा-अर्चना कर नागदेवता से अपने परिवार की रक्षा और सुख-समृद्धि की कामना की।
इस बार का पर्व खास संयोग में आया है। पंडित देवांश शास्त्री ने बताया कि नागपंचमी इस बार शिव योग और सिद्धि योग के शुभ संयोग में मनाई जा रही है। श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि 28 जुलाई रात 11:23 बजे से शुरू हुई और 29 जुलाई रात 12:45 बजे तक रहेगी। उदया तिथि होने के कारण मंगलवार को नागपंचमी मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्रकृति के साथ हमारे रिश्ते की याद दिलाने वाला दिन है।
भक्तों की भीड़
छत्री बाजार स्थित रियासतकालीन नाग मंदिर को विशेष रोशनी से सजाया गया। मंदिर की सीढ़ियों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सीपी कॉलोनी, दौलतगंज और तारांगंज में भी मंदिरों में घंटियों की आवाजें गूंजती रहीं। घरों में भी नागदेवता की प्रतीकात्मक आकृति दरवाजों पर बनाकर श्रद्धापूर्वक पूजा की गई।
पूजन के लिए सुबह 5:45 बजे से लेकर दोपहर तक तीन चरणों में शुभ मुहूर्त रहे। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा करने से नागदेवता न केवल अनिष्ट से रक्षा करते हैं, बल्कि मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं।
नाग-नागिन की प्रेम कहानी
ग्वालियर का ट्रांसपोर्ट नगर स्थित नाग-नागिन मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहा। इस मंदिर के पीछे की कहानी एक सच्ची घटना है, जिसने लोगों को झकझोर दिया था। वर्ष 2015 में एक नाग की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उसकी नागिन वहीं बैठी रही और बाद में उसी स्थान पर उसने भी दम तोड़ दिया। इस प्रेमगाथा को लोगों ने इतना सम्मान दिया कि वहां एक मंदिर बना दिया गया। आज यहां हिंदू-मुस्लिम सभी मिलकर पूजा करते हैं।