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ग्वालियर में दक्षिण भारतीय स्वाद का नया ठिकाना बना नागार्जुन का ठेला, जो अब बन चुका है रेस्टोरेंट

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Published On: 10 July 2025

ग्वालियर | MP के ग्वालियर शहर में इन दिनों एक नाम “उडुपी किचिन” खूब चर्चा में है। स्वादिष्ट डोसा, इडली और सांभर-वड़ा के शौकीनों की इस किचिन पर खूब भीड़ रहती है। पर इसके पीछे की कहानी सिर्फ स्वाद की नहीं, संघर्ष और सपनों की भी है। यह कहानी है हैदराबाद के मूल निवासी नागार्जुन की, जिन्होंने ठेले से शुरुआत कर अब खुद की दो दुकानें खोल ली हैं। नागार्जुन ने कोरोना काल के बाद वर्ष 2021 में ग्वालियर के गोविंदपुरी इलाके में हाथ ठेले पर दक्षिण भारतीय व्यंजन बेचना शुरू किया था। वहां आसपास रहने वाले छात्रों ने जब उनके डोसे और इडली का स्वाद चखा, तो देखते ही देखते उनका ठेला मशहूर हो गया। मगर ठेले से दुकान तक का सफर आसान नहीं था।

अब नागार्जुन की मासिक आमदनी 8-10 हजार रुपये से बढ़कर 1 से 1.5 लाख रुपये तक पहुंच गई है। आज उनका नाम ग्वालियर के सफल छोटे उद्यमियों में गिना जाता है।

मिला ऋण-अनुदान

इसी दौरान नागार्जुन को सरकार की प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के बारे में पता चला। इस योजना के तहत, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, ठाठीपुर शाखा से उन्हें 19 लाख रुपये का ऋण-अनुदान मिला। इस पैसे से उन्होंने सिटी सेंटर और पुराने हाईकोर्ट के पास उडुपी किचिन नाम से दो फूड आउटलेट शुरू किए। कामयाबी देखकर बैंक ने उनका लोन बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया।

मिला सम्मान

हाल ही में 5 जुलाई को ग्वालियर में हुए समरसता सम्मेलन में जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने उन्हें सम्मानित किया, तो नागार्जुन भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “सरकार बिना भेदभाव हम जैसे जरूरतमंदों को आगे बढ़ने का मौका दे रही है। उडुपी किचिन ने हमें न सिर्फ पहचान दी है, बल्कि जीवन में स्थिरता और खुशहाली भी दी है।”

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