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ग्वालियर में कैदियों की कलाई पर बंधी राखी, छलक पड़े भावनाओं के मोती

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Published On: 9 August 2025

ग्वालियर | मध्य प्रदेश के ग्वालियर सेंट्रल जेल शनिवार को भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की गवाह बनी। रक्षाबंधन के मौके पर सुबह से ही बहनों का सैलाब जेल की ओर उमड़ पड़ा। कोई शहर से आई थी, तो कोई दूर-दराज़ के गांव से, लेकिन हर किसी की आंखों में एक ही चमक अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने की खुशी थी।

राखी का शुभ मुहूर्त भले ही सुबह 10:47 बजे के बाद था, लेकिन यहां बहनों ने समय का इंतज़ार नहीं किया। जेल के खुले मैदान में टेंटों के नीचे, पुलिस सुरक्षा और चेकिंग व्यवस्था के बीच, एक-एक बहन अपने भाई तक पहुंची और रोली-चावल से तिलक कर राखी बांधी। मिठाई के रूप में जेल में बने लड्डू ने इस पल को और मीठा कर दिया।

कलाई पर बंधी राखी

भावनाओं का यह मंजर देखकर हर कोई भावुक हो उठा। कई बहनें अपने भाइयों को देखकर रो पड़ीं, तो कई भाई भी अपनी आंखों में आंसू रोक न पाए। जेल प्रशासन ने इस मौके को खास बनाने के लिए खास इंतज़ाम किए थे। पूड़ी, सब्जी और खीर का त्योहारी भोजन कैदियों के लिए तैयार किया गया था। लड्डू भी जेल के अंदर ही बनाए गए, जिन्हें बहनें परिसर से खरीदकर अंदर ले जा रही थीं।

जेल अधीक्षक ने कही ये बात

जेल अधीक्षक विनीत सरवईया के अनुसार, इस बार विशेष अनुमति देकर बहनों को अपने कैदी भाइयों से मिलने का मौका दिया गया। सुरक्षा के लिहाज़ से जेल में तीन स्तर की चेकिंग की व्यवस्था की गई थी और पुरुष आगंतुकों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहा। महिलाओं को साफ़ हिदायत दी गई थी कि वे अपने साथ किसी भी तरह का खानपान का सामान, मोबाइल या निषिद्ध वस्तुएं लेकर अंदर न जाएं, वरना मुलाकात रद्द कर दी जाएगी।

दोपहर 2:30 बजे तक करीब 8 हज़ार बहनें अपने भाइयों से मिल चुकी थीं। अनुमान है कि शाम तक यह संख्या पंद्रह हज़ार तक पहुंच जाएगी। जेल का माहौल एक दिन के लिए बिल्कुल अलग था। दीवारों और बंद दरवाज़ों के बीच रिश्तों की मिठास, हंसी और आंसुओं का अनोखा संगम था।

बहनों ने जताई खुशी

मुरैना से आई काजल ने कहा, “सुबह सात बजे से आई हूं, बस भाई को राखी बांधने के लिए। अंदर इंतज़ाम बहुत अच्छे थे, मिलकर मन हल्का हो गया।” वहीं, आरती नाम की बहन ने भी खुशी जताई, लेकिन भीड़ की वजह से धक्का-मुक्की की परेशानी का ज़िक्र किया।

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