ग्वालियर में लोगों को अब गड्ढों और उखड़ती सड़कों से थोड़ी राहत मिलने वाली है। शहर की पहली फोर लेन व्हाइट टॉपिंग सड़क का निर्माण आखिरकार शुरू हो गया है। न्यू कलेक्ट्रेट से अलापुर होते हुए सिरोल तिराहा तक बनने वाली इस सड़क का वर्क ऑर्डर करीब आठ महीने की देरी, कागजी दौड़भाग और टेंडर की उलझनों के बाद जारी किया गया। करीब 2.70 किलोमीटर लंबे इस रूट को शुरुआत से ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया था, लेकिन उपयुक्त एजेंसी न मिलने से काम की शुरुआत अटक गई थी। अब जब फाइनल ऑर्डर मिल गया है, तो लोक निर्माण विभाग ने मशीनें उतारकर साइट पर काम तेज कर दिया है।
क्यों खास है ये सड़क?
8 करोड़ 61 लाख 56 हजार रुपए की लागत से बन रही यह फोर लेन सड़क पूरे इलाके की तस्वीर बदल देगी। इस रूट पर कलेक्टर कार्यालय, शारदा बाल ग्राम, अटल स्मारक, एमके एलेक्ज़र सिटी और विंडसर हिल जैसे बड़े पॉइंट आते हैं। करीब 10 हजार से ज्यादा फ्लैटों और कई चल रहे हाइराइज प्रोजेक्ट्स की वजह से इस इलाके में ट्रैफिक लगातार बढ़ रहा था। नई सड़क इन्हीं परेशानी को कम करेगी।
व्हाइट टॉपिंग
सरकार और PWD ने शहर की सड़कों को ज्यादा टिकाऊ बनाने के लिए व्हाइट टॉपिंग तकनीक अपनाने का फैसला किया है। इसमें पुरानी डामर सड़क पर मोटी कंक्रीट की परत डाली जाती है। यह परत इतनी मजबूत होती है कि भारी बसें और लोडेड ट्रक भी इसे जल्दी खराब नहीं कर पाते।
फायदे
- 10-20 साल तक सड़क टेंशन नहीं देती
- गर्मी में पिघलती नहीं, बारिश में उखड़ती नहीं
- गाड़ियां स्मूद चलती हैं, माइलेज बेहतर मिलता है
- स्किडिंग कम, शोर कम
- मेंटेनेंस पर खर्च भी काफी घट जाता है
यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट को शहर में एक टेस्ट केस की तरह देखा जा रहा है। अगर यह सफल रहा, तो ग्वालियर की कई मुख्य सड़कों को भी इसी तकनीक से अपग्रेड किया जाएगा।
क्यों लगा आठ महीने का समय?
मार्च 2025 में टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई थी। सड़क की तकनीक, लोड कैपेसिटी, डिजाइन, गारंटी, और आने वाले समय में भारी वाहनों का दबाव इन सबका विस्तृत अध्ययन किया गया।
लगभग 8 महीने तक अलग-अलग एजेंसियों के प्रस्तावों की जांच चली और तभी जाकर सही ठेकेदार फाइनल किया गया। अब 5 साल की गारंटी के साथ यह सड़क बनाई जा रही है। उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में यह रूट शहर के सबसे स्मूद रास्तों में से एक बन जाएगा।
