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हाईकोर्ट ने ‘हक’ फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से किया इनकार, कहा- “यह किसी की निजता का उल्लंघन नहीं”

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Published On: 6 November 2025

MP हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शाहबानो केस पर आधारित फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने साफ कहा कि फिल्म किसी की निजी जिंदगी या निजता का उल्लंघन नहीं करती। इसके साथ ही, शाहबानो की बेटी और कानूनी वारिस सिद्दिका बेगम खान की याचिका को भी खारिज कर दिया गया, जिसमें फिल्म की रिलीज, प्रदर्शन और प्रमोशन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

क्या थी याचिका की मांग

सिद्दिका बेगम ने अपनी याचिका में कहा था कि फिल्म मेकर्स ने उनकी अनुमति के बिना शाहबानो की जिंदगी पर फिल्म बना दी है। उनका आरोप था कि फिल्म में शरिया कानून की नकारात्मक छवि दिखाई गई है, जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं। उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर सुपर्ण एस. वर्मा, जंगली पिक्चर्स, बावेजा स्टूडियोज और सेंसर बोर्ड के चेयरपर्सन को भी नोटिस भेजा था।

4 नवंबर को इस मामले पर हाईकोर्ट में करीब दो घंटे तक सुनवाई चली थी, जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब गुरुवार को अदालत ने साफ कहा कि फिल्म को रिलीज करने से रोका नहीं जा सकता। फिल्म ‘हक’ 7 नवंबर को रिलीज होने वाली है।

फिल्म निर्माता का पक्ष

फिल्म के निर्माता जंगली पिक्चर्स की ओर से अधिवक्ता ऋतिक गुप्ता और अजय बागड़िया ने अदालत में दलील दी कि ‘हक’ पूरी तरह एक काल्पनिक कहानी पर आधारित है। इसमें किसी व्यक्ति या समुदाय को निशाना बनाने या भावनाएं आहत करने का कोई उद्देश्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के विषय पर बनी है, न कि किसी खास व्यक्ति के जीवन पर। अदालत ने इस दलील से सहमति जताई और याचिका खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता का तर्क

वहीं, शाहबानो की बेटी सिद्दिका बेगम की ओर से अधिवक्ता तौसीफ वारसी ने तर्क रखा कि फिल्म के ट्रेलर और टीजर में ऐसे डायलॉग और सीन दिखाए गए हैं, जो उनकी मां की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म में दिखाए गए कुछ दृश्य और संवाद असल जिंदगी से मेल नहीं खाते। “मेरी मुवक्किल की मां ने उस दौर में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया, लेकिन फिल्म में परिवार की छवि खराब की गई है,” उन्होंने कोर्ट में कहा।

कोर्ट में कई पक्ष हुए पेश

सुनवाई के दौरान फिल्म निर्माताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागड़िया, इंसोमनिया मीडिया एंड कंटेंट सर्विसेज लिमिटेड के वकील हितेश मेहता और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से रोमेश दवे उपस्थित रहे। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने माना कि फिल्म किसी की निजता का हनन नहीं करती और इसकी कहानी को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के दायरे में माना जा सकता है।

फिल्म के निर्माताओं ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने कहानी को संवेदनशीलता के साथ पेश किया है। इसमें न तो किसी समुदाय की छवि खराब की गई है और न ही किसी परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया है। फिल्म में दिखाए गए सभी संवाद और घटनाएं काल्पनिक हैं, जिन्हें सामाजिक दृष्टिकोण से समझा जाना चाहिए।

अब 7 नवंबर को होगी रिलीज

हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब ‘हक’ तय तारीख 7 नवंबर को देशभर में रिलीज होगी। अदालत के इस आदेश से फिल्म निर्माता राहत की सांस ले रहे हैं, जबकि याचिकाकर्ता पक्ष आगे कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।

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