इंदौर की साइबर सेल ने डिजिटल अरेस्ट के बड़े मामले में तीन खाताधारकों को गिरफ्तार किया है, जिनके बैंक खातों में ठगी की रकम पहुंचाई गई थी। यह पूरा मामला शहर के एक रिटायर्ड मेडिकल अफसर से 4 करोड़ 32 लाख रुपये की धोखाधड़ी से जुड़ा है। पकड़े गए आरोपियों में देवास, उज्जैन और रतलाम के युवक शामिल हैं, जिनमें से एक फिलहाल भोपाल में किराए से रह रहा था।
जानें मामले
साइबर सेल के मुताबिक, 21 सितंबर 2025 को रिटायर्ड अफसर को एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी का अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि उनके नाम से चल रहे दो मोबाइल नंबर आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहे हैं। इसके बाद ठग ने उन्हें एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से जोड़ते हुए बताया कि 538 करोड़ के मामले में गिरफ्तार नरेश गोयल के आधार कार्ड की आड़ में बैंक खाता खोलने की अनुमति उन्होंने दी है। बदले में हर महीने कमीशन मिलने की बात भी कही।
दो दिन बाद ठगों ने वीडियो कॉल पर एक फर्जी ‘ऑनलाइन कोर्ट’ का सेटअप दिखाया। रिटायर्ड अफसर को बताया गया कि उनके खिलाफ केस चल रहा है और गिरफ्तारी का खतरा है। डर का माहौल बनाकर उनसे संपत्ति और बैंक की जानकारी ली गई। यह सिलसिला लगभग एक महीने तक चलता रहा और हर बार उन्हें नए खाते नंबर भेजकर राशि डालने को कहा जाता था।
डाला दबाव
अक्टूबर में वे अपनी बैंक की होम ब्रांच वाले शहर गए और वहां मुंबई में फ्लैट खरीदने का बहाना बनाकर अपनी बड़ी फिक्स्ड डिपॉजिट कैश करा ली। इसके बाद लगातार RTGS के जरिए एक महीने के भीतर 4 करोड़ 32 लाख रुपये ठगों के बताए खातों में भेज दिए। उन्होंने इस दौरान न अपने बेटे को बताया, न किसी रिश्तेदार को। ठग इतने शातिर थे कि एफडी खत्म होने के बाद भी उन्हें हाउस लोन लेने के लिए दबाव डाल रहे थे।
3 गिरफ्तार
स्थिति तब बदली जब बैंक अधिकारियों से बातचीत में उन्हें शक हुआ। बाद में एक रिश्तेदार को जानकारी लगी और वे तुरंत रिटायर्ड अफसर को लेकर इंदौर साइबर सेल पहुंचे। शिकायत के बाद पुलिस ने खातों की ट्रेल खंगालकर देवास, उज्जैन और रतलाम के तीन लोगों सादिक, शाहिद और सोहेल को गिरफ्तार कर लिया। साइबर सेल ने कहा है कि यह गिरोह बड़ी उम्र के लोगों को निशाना बनाकर डिजिटल अरेस्ट जैसी तकनीक का इस्तेमाल करता है। पुलिस अब रकम की रिकवरी और मुख्य मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
