इंदौर में मेट्रो प्रोजेक्ट का काम जितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से लापरवाहियां भी सामने आती जा रही हैं। मंगलवार को नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जब अफसरों और जनप्रतिनिधियों के साथ मेट्रो रूट का निरीक्षण शुरू किया, तो शुरुआत में सब ठीक लगा। लेकिन रेडिसन चौराहा पार करते ही एक ऐसी बात सामने आई जिसने मंत्री को भड़कने पर मजबूर कर दिया कि मेट्रो स्टेशन के पास पार्किंग ही नहीं बनाई गई थी।
मंत्री ने जैसे ही देखा कि स्टेशन के आसपास वाहनों के लिए कोई जगह ही नहीं छोड़ी गई है, उन्होंने तुरंत अधिकारियों से सवाल किया कि लोग मेट्रो पकड़ने आएंगे तो अपनी गाड़ियां कहां खड़ी करेंगे?
मेट्रो अधिकारियों की सफाई
सर जगह ही नहीं थी… बस फिर क्या था, मंत्री गंभीर होते हुए बोले कि मेट्रो का काम पूरा होने को है और इतनी जरूरी चीज के लिए जगह नहीं बची? यह सीधी-सादी लापरवाही है। विजयवर्गीय ने आईडीए को आदेश दिया कि जल्द से जल्द जमीन चिन्हित करें और पार्किंग बनाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हर स्टेशन पर पार्किंग जरूरी है, नहीं तो मेट्रो सफल नहीं होगी।
डिवाइडर-पोल तो लगाए
निरीक्षण में एक और गड़बड़ी सामने आई कि जहां डिवाइडर और स्ट्रीट लाइट के पोल लगाए गए थे, वहां सड़क का समतलीकरण किया ही नहीं गया था। मंत्री बोले कि मेट्रो, नगर निगम और आईडीए के बीच तालमेल नाम की चीज नहीं दिख रही। इसका जिम्मेदार तय होगा।
गांधी नगर डिपो पर भी निरीक्षण
मंत्री का दौरा यहीं खत्म नहीं हुआ। वे लवकुश चौराहा भी पहुंचे और वहां की स्थिति देखी। इसके बाद वे गांधी नगर डिपो में अधिकारियों के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक करने रवाना हुए।सबक मिला या नहीं… ये कुछ दिन में पता चलेगा। मेट्रो प्रोजेक्ट शहर का सबसे बड़ा सपना है, लेकिन एक-एक कर जो लापरवाहियां सामने आ रही हैं, वह इस पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही हैं। पार्किंग भूल जाना कोई छोटी बात नहीं है। हजारों यात्रियों की सुविधा सीधे-सीधे इसी पर निर्भर है। अब देखना यह है कि अधिकारियों की नींद कब खुलती है और यह गड़बड़ी कितनी जल्दी सुधरती है।
