इंदौर एक बार फिर अपनी सफाई व्यवस्था से देशभर में मिसाल बन गया है। दिवाली की रात लोग देर तक पटाखे चलाते रहे, मिठाइयां बांटते रहे और खुशियां मनाते रहे। लेकिन जब बाकी शहर सो गया, तब इंदौर के सफाई मित्रों ने मोर्चा संभाल लिया। रात के करीब तीन बजे से ही झाड़ू, डस्टबिन और गाड़ियों के साथ पूरी टीम फील्ड में उतर आई। सुबह की पहली किरण निकलने तक पूरे शहर की सड़कों, गलियों और बाजारों की सफाई कर दी गई। ऐसा लगा जैसे दिवाली की रात यहां हुई ही नहीं। हर तरफ सड़कों पर वही चमक थी, जो शहर की पहचान बन चुकी है।
कचरा नहीं बना सिरदर्द
हर साल दीपावली पर सबसे बड़ी चुनौती पटाखों से फैला बारूद, कागज और धूल का कचरा होती है। इस बार भी स्थिति अलग नहीं थी, लेकिन नगर निगम की टीमों ने पहले से पूरी तैयारी कर रखी थी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि इस बार खास ध्यान बाजारों और मुख्य सड़कों की सफाई पर दिया गया। डस्टबिन और सड़क किनारे पड़े वेस्ट को सबसे पहले हटाया गया।
इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट (IWM) और नगर निगम की टीमें मिलकर फील्ड में काम कर रही थीं। डंपर, ट्रैक्टर और कचरा उठाने वाले वाहनों को रातभर चलाया गया ताकि कचरा उसी वक्त उठकर स्टेशन तक पहुंच जाए।
सफाई भी त्योहार का हिस्सा है: महापौर
महापौर ने कहा, “दिवाली सिर्फ रोशनी और मिठाइयों का त्योहार नहीं है, बल्कि स्वच्छता का भी प्रतीक है। अगर शहर साफ रहेगा तो वही असली दीपावली होगी।” उन्होंने बताया कि जीटीएस से लेकर प्रोसेसिंग साइट तक पूरे सिस्टम को समयबद्ध तरीके से चलाया गया ताकि कोई कचरा सड़कों पर न रुके। उन्होंने ये भी कहा कि पटाखों और मिठाइयों के डिब्बों से गंदगी सबसे ज्यादा होती है, इसलिए उसी पर विशेष ध्यान रखा गया।
इंदौर ने फिर किया साबित
राजवाड़ा, सराफा, 56 दुकान जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके कुछ ही घंटों में ऐसे साफ हुए कि लोगों ने सुबह तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दीं। लोगों ने लिखा, “यही है इंदौर की असली दिवाली!” इंदौर ने एक बार फिर दिखा दिया कि सफाई सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यहां की संस्कृति है। शायद इसी वजह से यह शहर लगातार देश का सबसे स्वच्छ शहर कहलाता है।
