इंदौर शहर में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। Jays का आरोप है कि 11 सितंबर की रात पुलिस ने एक आदिवासी युवक के साथ बेरहमी से मारपीट की और उसे जातिसूचक गालियां दीं। इस घटना ने न केवल आदिवासी समाज को आहत किया है, बल्कि मानवाधिकारों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिसे लेकर आज यानि 15 सितंबर को सुबह 11 बजे भंवरकुआं थाने के बाहर धरना-प्रदर्शन किया गया। जयस नेताओं का कहना है कि यह मामला केवल एक युवक का नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज के आत्मसम्मान से जुड़ा है।
पत्रकारों को बुलावा
संगठन ने प्रेस आमंत्रण जारी करते हुए पत्रकारों से भी अपील की है कि वे आंदोलन स्थल पर मौजूद रहकर इस अन्याय की सच्ची तस्वीर समाज तक पहुंचाएं। जयस का कहना है कि मीडिया की निष्पक्ष रिपोर्टिंग से ही पीड़ित को न्याय दिलाने की राह आसान होगी। संगठन ने साफ कहा है कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन संदेश पूरे प्रदेश और देश तक जाना जरूरी है।
मानवाधिकारों का उल्लंघन
जयस नेताओं का कहना है कि पुलिस द्वारा आदिवासी युवक के साथ किया गया व्यवहार मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कानून की रखवाली करने वाली पुलिस ही अत्याचार करेगी तो आम आदमी कहां जाएगा? संगठन ने मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और पीड़ित को न्याय मिले।
लोगों में आक्रोश
घटना के बाद आदिवासी समाज में गहरा आक्रोश है। लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं और अब समय आ गया है कि इसके खिलाफ आवाज बुलंद की जाए। जयस का आंदोलन इसी दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। अब नजरें 15 सितंबर को होने वाले प्रदर्शन पर टिकी हैं कि इसका कितना असर प्रशासन पर पड़ता है।