देशभर में दवाओं की गुणवत्ता पर की गई एक बड़ी जांच में इंदौर की दो कंपनियों की दवाएं मानक पर खरी नहीं उतरीं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने सितंबर में 112 दवाओं के सैंपल लिए थे, जिनकी रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई। इनमें हार्ट, कैंसर, गैस्ट्रो, दर्द निवारक, कैल्शियम और पेट दर्द की दवाएं भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा 49 सैंपल हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्रियों में बनी दवाओं के असफल मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ कंपनियों ने दवाएं भारतीय फार्माकोपिया (IP) और pH मानक के हिसाब से तैयार नहीं कीं। जांच में ये भी सामने आया कि खराब कच्चा माल, निर्माण में लापरवाही और गलत स्टोरेज तापमान इन दवाओं के फेल होने की बड़ी वजहें हैं।
इंदौर की McW हेल्थकेयर
इंदौर की McW हेल्थकेयर लिमिटेड, जो सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित है, उसकी “जिंक सल्फेट डिस्पर्सिबल टैबलेट 20 एमजी” जांच में फेल पाई गई। यह दवा शरीर में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए दी जाती है। सीडीएससीओ ने इसका सैंपल हिमाचल के बद्दी से लिया था। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस दवा के गलत इस्तेमाल से पेट दर्द, उल्टी, सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण हो सकते हैं।
जेनिथ ड्रग्स की भी अमानक
दूसरी दवा जेनिथ ड्रग्स लिमिटेड की है, जो इंदौर के धार रोड, कलारिया इंडस्ट्रियल एरिया में बनती है। इस कंपनी की “फेरस सल्फेट और फोलिक एसिड टैबलेट” एनीमिया यानी खून की कमी को दूर करने के लिए दी जाती है। यह खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को दी जाती है, ताकि बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट जैसे गंभीर जन्म दोष न हों। इसका सैंपल मेघालय से लिया गया था, जो टेस्ट में फेल हो गया।
सैंपल इंदौर से लिए गए
इंदौर से ही कर्नाटक एंटीबायोटिक्स फार्मा, बेंगलुरु की ग्लिमेपिराइड 1 एमजी दवा का सैंपल लिया गया था, जो टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल होती है। यह भी जांच में अमानक मिली। इसके अलावा, बिहार की जी लैबोरेट्रीज (पटना साहिब) द्वारा बनाई गई “क्लोपिडोग्रेल और एस्पिरिन 75 एमजी” और हिमाचल की थियोन फार्मा की दो वैरिएंट्स भी टेस्ट में फेल हुईं। ये दवाएं दिल के दौरे और स्ट्रोक से बचाव के लिए दी जाती हैं।
जांच एजेंसी का सख्त रुख
सीडीएससीओ ने इन सभी कंपनियों से जवाब मांगा है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इन दवाओं की बिक्री और वितरण पर कार्रवाई की जा सकती है।
