इंदौर | NEET-UG 2025 परीक्षा के दौरान बिजली कटौती से प्रभावित हुए छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने उन दो याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें परीक्षा के दोबारा आयोजन की मांग की गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि दोबारा परीक्षा कराना न्यायालय का अधिकार क्षेत्र नहीं, बल्कि यह पूरी तरह से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के विवेक पर निर्भर है।
यह फैसला न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने सुनाया। पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ का फैसला पूरी तरह तार्किक और सटीक है, जिसमें स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर सभी पहलुओं पर जांच की गई थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं लगती।
सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
गौरतलब है कि 52 छात्रों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन छात्रों का कहना था कि परीक्षा केंद्रों पर बिजली जाने के बाद भी कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किए गए, जिससे उन्हें गंभीर मानसिक तनाव और समय की कमी का सामना करना पड़ा। छात्रों की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने कोर्ट में दलील दी कि यह छात्रों के साथ अन्याय है और उन्हें दूसरा मौका मिलना चाहिए।
वहीं, NTA की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि पूरे देश में लाखों छात्र NEET में शामिल हुए और अब काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस चरण में दोबारा परीक्षा कराना संभव नहीं है। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया।
रि-एग्जाम की मांग खारिज
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जो छात्र काउंसलिंग के लिए पात्र हैं, वे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे। इससे पहले इंदौर हाईकोर्ट ने 14 जुलाई को इन छात्रों की याचिका खारिज की थी और उसी दिन NTA ने उनके रुके हुए परिणाम भी घोषित कर दिए थे। इस फैसले के साथ अब साफ है कि NEET-UG 2025 में रि-एग्जाम का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है और प्रभावित छात्रों को उपलब्ध विकल्पों के साथ ही आगे की प्रक्रिया में भाग लेना होगा।