इंदौर में कलेक्टर ऑफिस के बाहर अखिल भारतीय बलाई महासंघ के बैनर तले लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यकर्ता सरकारी जमीन को कथित तौर पर निजी लोगों के नाम दर्ज करने के विरोध में नारे लगाते हुए पहुंचे और प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की।
महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार ने बताया कि देपालपुर तहसील के ग्राम रुणावदा में 34 बीघा चरनोई भूमि है। आरोप है कि करामत खान, अब्दुल खान, नौशाद खान, आजम खान, मुख्तियार खान, जुबेदा बी, बाबू खान, रज्जाक खान और हिदायत खान ने इस जमीन पर अतिक्रमण कर इसे अपने नाम दर्ज करा लिया। परमार ने दावा किया कि यह जमीन दो बार बेची गई। पहली बार 12 करोड़ में और दूसरी बार 18 करोड़ में हुई है।
पैसे के उपयोग को लेकर गंभीर आरोप
मनोज परमार ने आरोप लगाया कि जमीन बेचने से प्राप्त रकम जकात के नाम पर इकट्ठी की जा रही है और यह धन आगे मदरसों में फंडिंग के लिए इस्तेमाल हो सकता है। उनका कहना है कि इससे राष्ट्र को नुकसान पहुंचने की आशंका है। उन्होंने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि जमीन के नामांतरण संबंधी आदेश दो बार खारिज किए जा चुके हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक ही क्रमांक से दो अलग-अलग आदेश जारी किए गए। एक आदेश में जमीन को सरकारी चरनोई बताया गया है, जबकि दूसरे आदेश में इसे निजी भूमि के रूप में दर्ज किया गया। महासंघ का कहना है कि यह बड़ा प्रशासनिक खेल है और पहली बार इस मामले में औपचारिक शिकायत हुई है।
दलित किसान की आत्महत्या का मुद्दा भी उठा
मनोज परमार ने यह भी याद दिलाया कि कुछ महीनों पहले एक दलित किसान ने सरकारी जमीन पर कब्जे के विवाद से परेशान होकर जनसुनवाई में ही एसिड पीकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इतने गंभीर मामले के बावजूद अब तक किसी को आरोपी नहीं बनाया गया, जो प्रशासन की बड़ी लापरवाही दर्शाता है। प्रदर्शन के बाद संयुक्त कलेक्टर रोशनी वर्धमान ने कहा कि बलाई महासंघ की ओर से ज्ञापन मिला है। उन्होंने पुष्टि की कि शिकायत में देपालपुर क्षेत्र की सरकारी जमीन के नामांतरण में अनियमितताओं का मामला उठाया गया है। वर्धमान ने कहा कि दस्तावेजों की जांच कर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
