इंदौर के शीतलामाता बाजार में शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह का दौरा विवादित माहौल में समाप्त हुआ। मुस्लिम कर्मचारियों को दुकानों से हटाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच दिग्विजय सिंह बाजार में प्रवेश करने के प्रयास में थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। लंबी बहस और विवाद के बाद वे पैदल सराफा थाने पहुंचे और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।
बाजार में हिंदू संगठनों का विरोध
इस दौरान बाजार में स्थानीय हिंदू संगठनों और दुकानदारों ने विरोध जताया। दुकानों को भगवा झंडों और बैनरों से पाट दिया गया। व्यापारियों ने गले में केसरिया पट्टा पहना। महिलाओं ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और चूड़ियां लेकर खड़ी रहीं। विरोध प्रदर्शन के कारण इलाके में पुलिस फोर्स और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को तैनात किया गया।
दिग्विजय सिंह का आरोप
सराफा थाने में मीडिया से बातचीत के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा विधायक के समर्थक मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी न देने और उनके व्यवसाय बंद कराने की बात कह रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि यह कानूनन अपराध नहीं है तो पुलिस ने अब तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की। उन्होंने कहा कि लोग केवल अपने धर्म की वजह से धमकाए जा रहे हैं, जो पूरी तरह गलत है।
भाजपा विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ ने दुकानदारों से अपील की थी कि वे मुस्लिम कर्मचारियों को हटाएं और इसके लिए 25 सितंबर तक अल्टीमेटम दिया। चेतावनी की अवधि समाप्त होने के बाद कई दुकानों ने दबाव में कर्मचारियों को हटाया।
कांग्रेस का सक्रिय विरोध
इस मुद्दे पर कांग्रेस पहले ही सक्रिय है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने संभागायुक्त से मुलाकात कर कड़ी कार्रवाई की मांग की। पटवारी ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने दो दिन में कार्रवाई नहीं की, तो कांग्रेस उग्र आंदोलन करेगी।
दिग्विजय सिंह ने हाल ही में कैलाश विजयवर्गीय के विवादित बयान की भी कड़ी निंदा की और कहा कि भाई-बहन के रिश्ते पर किए गए अपमानजनक बयान को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उच्च न्यायालय में याचिका
पूर्व सीएम ने इस मामले में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका भी दाखिल की है। शनिवार को सुनवाई होना थी, जो अब 10 नवंबर तक स्थगित कर दी गई है।