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JAYS संस्थापक लोकेश मुजल्दा से संवाददाता किशन सिंह राणा की खास बातचीत, राजनीतिक या सामाजिक पार्टी के सवाल पर दिया ये जवाब!

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Published On: 15 September 2025

JAYS की 16 मई 2013 को फेसबुक पर एक संगठन की शुरुआत हुई। कुछ ही समय में बड़ी संख्या में लोग इससे जुड़ने लगे और देखते ही देखते यह सामाजिक संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (JAYS) अस्तित्व में आया। इसके संस्थापकों में से एक लोकेश मुजल्दा, जो मूल रूप से धार जिले के कुक्षी गांव के रहने वाले हैं। उनसे MP News के संवादाता किशन सिंह राणा ने फोन पर बातचीत की और उनकी पूरी कहानी को पूछा। आइए जानते हैं विस्तार से कि उनकी जर्नी कैसी रही है और आगे चलकर यह मध्य प्रदेश में तीसरी बड़ी राजनीतिक पार्टी बन सकती है या नहीं…

इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि मैंने समाज के लिए काम करना 2008 में शुरू किया था, जब ‘मामा टंट्या’ नाम का एक समूह बना था। यह समूह आदिवासियों के हक और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ता था। बाद में यही समूह JAYS में विलय हो गया।

भारत में 705 से अधिक आदिवासी समुदाय

लोकेश का कहना है कि भारत में 705 से अधिक आदिवासी समुदाय हैं और JAYS उनके अधिकारों व उत्थान के लिए काम करता है। उनके अनुसार सरकार विकास के नाम पर आदिवासियों को जमीन से बेदखल कर रही है और उन्हें कहीं का नहीं छोड़ रही है। हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विकास के नाम पर होने वाले अत्याचार किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं हैं। अगर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाए जाते हैं, तो आदिवासियों को उसमें भागीदार बनाया जाना चाहिए। सरकार विस्थापन पर मुआवजा देने की बात करती है, लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से अगर एक रुपया तय होता है तो केवल 25 पैसे ही लोगों तक पहुंचते हैं। हम इसका विरोध करते हैं।

दिया ये उदाहरण

मुख्यमंत्री ने हाल ही में पीएम मित्रा पार्क की घोषणा की है, जिसके लिए एक बार फिर लोगों को जमीन छोड़नी होगी। ऐसे कई उदाहरण हैं, जैसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ प्रोजेक्ट, जहां 192 से ज्यादा गांव उजड़ गए। आखिर हमेशा गरीब ही क्यों? विकास आदिवासियों की जिंदगी की कीमत पर क्यों हो? लोकेश का कहना है कि JAYS अन्याय के खिलाफ सभी के लिए खड़ा होता है, चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति, धर्म, लिंग या नस्ल का हो।

उन्होंने हाल ही की घटना का जिक्र किया कि 30–31 अगस्त की रात इंदौर के एमवाई अस्पताल के एनआईसीयू में चूहों के काटने से दो शिशुओं की मौत हो गई। सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाते हमने विरोध किया और अस्पताल के डीन पर हत्या का केस दर्ज करने की मांग की। डीन छुट्टी पर चले गए और केवल नर्सों व अन्य स्टाफ को निलंबित कर दिया गया। हम अभी भी इन बच्चों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। चूंकि, डीन एक मंत्री के रिश्तेदार हैं, उन्हें बचा लिया गया। हम इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के आने वाले कार्यक्रम में भी उठाएंगे। जिस स्थान से मात्र 15 किलोमीटर दूर पीएम का कार्यक्रम है, वहीं एक शिशु दफन है। हम विरोध में उसकी कब्र की मिट्टी लेकर जाएंगे।

राजनीतिक रुख

राजनीतिक रुख पर लोकेश का कहना है कि हम किसी विचारधारा या पार्टी के खिलाफ नहीं हैं। हम अन्याय के खिलाफ हैं। 2018 में JAYS ने घोषणा की थी कि वह मध्य प्रदेश विधानसभा की 80 सीटों पर ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ के नारे के साथ चुनाव लड़ेगा, लेकिन बाद में संगठन पीछे हट गया। उसी दौरान डॉ. हीरालाल आलाावा ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा।

इस पर लोकेश ने साफ कहा कि हमने संगठन की स्थापना के समय ही तय किया था कि अगर कोई सदस्य किसी राजनीतिक पार्टी से चुनाव लड़ेगा तो वह स्वतः JAYS का हिस्सा नहीं रहेगा। इसलिए हीरालाल आलाावा या ऐसे अन्य सदस्य जो किसी दल से जुड़े हैं, अब JAYS का हिस्सा नहीं हैं। आने वाले समय में हम न तो सभी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और न ही किसी पार्टी से गठजोड़ करेंगे।”

क्या JAYS राजनीतिक है या सामाजिक?

इस सवाल पर लोकेश ने कहा कि हम मूल रूप से एक सामाजिक संगठन हैं, जो 13 राज्यों में सक्रिय है। हालांकि, भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए हम अलग राजनीतिक दल भी बना सकते हैं। फिलहाल हमारा मुख्य फोकस मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और आसपास के आदिवासी इलाकों पर है। समाज के उत्थान के लिए JAYS ने कुक्षी, थांदला, पेटलावद और झाबुआ समेत कई जगहों पर फ्री कोचिंग सेंटर खोले हैं। इनसे कई युवाओं ने सरकारी नौकरी की परीक्षाएं पास की हैं। हमने आदिवासी युवाओं को रोजगार शुरू करने में भी मदद की है।

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