जबलपुर की नन्ही वामिका अब सिर्फ 17 दिन की है, लेकिन इतनी छोटी उम्र में वो वो लड़ाई जीत चुकी है जिसे बड़े-बड़े हार मान लेते हैं। जन्म के तुरंत बाद जिस बच्ची को डॉक्टरों ने गंभीर बताया था, आज वही वामिका बिना वेंटिलेटर के मुस्कुरा रही है और धीरे-धीरे ठीक भी हो रही है। 16 नवंबर को उसे NICCU से शिफ्ट कर मुंबई के नारायणा अस्पताल के HNCU वार्ड में रखा गया है। डॉक्टरों का कहना है कि हालत में लगातार सुधार हो रहा है और कुछ ही दिनों में उसके पिता उसे वापस जबलपुर ले जा सकेंगे।
3 नवंबर को वामिका ने अपने जुड़वा भाई दिवित के साथ जन्म लिया था। भाई बिल्कुल स्वस्थ निकला, लेकिन वामिका की जांच में पता चला कि उसके दिल में जन्मजात छेद है। पहली बार ये खबर सुनकर परिवार की हालत खराब हो गई। 4 नवंबर को जब डॉक्टरों ने साफ-साफ बताया कि इलाज सिर्फ मुंबई में ही संभव है, तो बच्ची के पिता ने उम्मीद नहीं छोड़ी और तुरंत आरबीएसके व स्वास्थ्य विभाग से मदद मांगी।
दो बड़े ऑपरेशन
5 नवंबर को छुट्टी का दिन था, लेकिन हालात ऐसे थे कि सरकारी दफ्तरों ने भी फाइलें तुरंत तैयार कीं। सिर्फ चंद घंटों में पूरे कागज़ तैयार कर वामिका को एयर एम्बुलेंस से मुंबई भेज दिया गया। वहां नारायणा अस्पताल में डॉक्टरों की टीम पहले से इंतज़ार कर रही थी। 7 नवंबर को डॉक्टर प्रदीप कौशिक और डॉक्टर सुप्रितिम सेन ने 5 घंटे तक लगातार दो बड़े ऑपरेशन किए। दोनों ऑपरेशन बेहद जोखिम भरे थे, लेकिन टीम ने हिम्मत नहीं हारी। ऑपरेशन के बाद वामिका को NICCU में वेंटिलेटर पर रखा गया, जहां वह पूरे 9 दिन तक मशीनों के सहारे सांस लेती रही।
जल्द लौटेगी जबलपुर
धीरे-धीरे उसने खुद सांस लेना शुरू किया और 16 नवंबर को आखिरकार उससे वेंटिलेटर हटा दिया गया। डॉक्टरों ने उसे HNCU वार्ड में शिफ्ट कर दिया है, जो बड़ी प्रगति माना जाता है। वामिका के पिता हर दिन अस्पताल में बैठकर उसकी उंगलियां थामे रखते हैं। अब जब डॉक्टर कह रहे हैं कि बच्ची खतरे से बाहर है और जल्द डिस्चार्ज भी हो सकती है, तो परिवार की आंखें खुशी से भर जाती हैं।
