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हाईकोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण पर फिर सुनवाई, MP सरकार बोली- “कर्मचारियों के हित में नई पॉलिसी”

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Published On: 9 September 2025

MP हाईकोर्ट में मंगलवार को प्रमोशन में आरक्षण से जुड़े मामले पर एक बार फिर सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने अदालत के सामने नई और पुरानी पॉलिसी का फर्क बताते हुए अपना पक्ष रखा, लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने अभी तक क्रीमी लेयर और क्वांटिफायबल डेटा जैसे अहम मुद्दों पर कोई जवाब नहीं दिया है। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद अगली तारीख 16 सितंबर तय कर दी है।

लागू नहीं होगी नई पॉलिसी

राज्य सरकार ने कोर्ट से अंतरिम राहत मांगते हुए नई प्रमोशन पॉलिसी लागू करने की इजाजत चाही थी। लेकिन हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जब तक मामले पर अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक नई पॉलिसी लागू नहीं होगी। सरकार ने भी इस पर अंडरटेकिंग दी है कि वह फिलहाल नई नीति लागू नहीं करेगी। इसका मतलब यह हुआ कि कर्मचारियों के बीच नई पॉलिसी को लेकर जो संशय था, वह अभी खत्म नहीं हुआ है।

याचिकाकर्ता बोले

भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि हाईकोर्ट पहले ही 2002 के प्रमोशन नियमों को आरबी राय केस में खारिज कर चुका है। इसके बावजूद सरकार ने नए सिरे से लगभग वही नीति लागू कर दी, जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर रही है।

सरकार का पक्ष

सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस. वैद्यनाथन पेश हुए। उन्होंने कहा कि राज्य ने मौखिक अंडरटेकिंग दी है, जिसकी वजह से फिलहाल प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सुनवाई आगे बढ़ाने का आग्रह किया। वहीं, सरकार का कहना है कि नई पॉलिसी से सभी वर्गों को बराबरी का मौका मिलेगा और यह कर्मचारियों के हित में बनाई गई है।

याचिकाकर्ताओं की आपत्ति

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अमोल श्रीवास्तव ने कोर्ट में कहा कि सरकार का जवाब अधूरा है। इसमें क्रीमी लेयर, बैकलॉग वैकेंसी और समय-सीमा जैसे मुद्दों पर कोई स्पष्टता नहीं दी गई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आरबी राय केस में कुछ प्रमोशन असंवैधानिक माने जा चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, तब यथास्थिति का आदेश होने के बावजूद सरकार प्रमोशन कैसे कर सकती है।

17 जून को कैबिनेट से मिली मंजूरी

गौरतलब है कि 17 जून को मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट ने नए प्रमोशन नियमों को मंजूरी दी थी। इसके बाद 19 जून को सरकार ने अधिसूचना जारी कर इन्हें लागू भी कर दिया। लेकिन पुराने नियमों से प्रमोशन पाए कर्मचारियों को न तो पदावनत किया गया और न ही सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका वापस ली गई। यही वजह है कि नए नियम हाईकोर्ट में चुनौती दिए गए हैं।

अब अगली सुनवाई 16 सितंबर

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं को समय देते हुए अगली सुनवाई 16 सितंबर को तय की है। इस दिन अंतरिम राहत को लेकर विस्तार से बहस होगी। तब तक प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण पर रोक बनी रहेगी। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की निगाहें इस केस पर टिकी हैं, क्योंकि इसके फैसले से न सिर्फ प्रमोशन की दिशा तय होगी।

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