MP हाईकोर्ट में सोमवार को ई-अटेंडेंस मामले की सुनवाई एक बार फिर हुई। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि ‘हमारे शिक्षक एप’ में डाटा लीक या साइबर फ्रॉड का कोई जोखिम नहीं है। सरकारी वकील ने साफ कहा कि ऐप से जुड़े सुरक्षा खतरे को लेकर जो बातें प्रचारित हुईं, वे तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। उन्होंने दावा किया कि एप की साइबर सिक्योरिटी की जांच कराई गई है और किसी तरह की अनियमितता नहीं मिली।
दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि कई शिक्षकों को एप डाउनलोड करने के बाद साइबर फ्रॉड का सामना करना पड़ा। कुछ मामलों में बैंक खातों से रकम तक गायब हो गई। उनके मुताबिक, ‘हमारे शिक्षक एप’ न तो सुरक्षित है और न ही तकनीकी रूप से इतना सक्षम कि रोजाना हजारों शिक्षकों का ई-अटेंडेंस बिना दिक्कत दर्ज कर सके।
शिक्षक परेशान
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने बताया कि ई-अटेंडेंस दर्ज करने के लिए सुबह ही भारी तकनीकी समस्याएं सामने आती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या के कारण शिक्षक समय पर उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाते, जिससे अनावश्यक दबाव बनता है। उन्होंने कहा कि कई बार एप लॉग-इन नहीं होता, सर्वर डाउन रहता है या लोकेशन टैगिंग काम नहीं करती, इससे शिक्षक मानसिक परेशानी में आ जाते हैं।
27 शिक्षकों ने दी चुनौती
जबलपुर के मुकेश सिंह वरकड़े, सतना के सत्येंद्र तिवारी समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 27 शिक्षकों ने संयुक्त याचिका दायर कर ई-अटेंडेंस सिस्टम को चुनौती दी है। उन्होंने हलफनामा देकर कहा कि अनिवार्य ई-अटेंडेंस व्यवस्था बिना आधारभूत तकनीकी सुधारों के लागू की गई है, जो शिक्षकों के साथ अन्याय है। उनका कहना है कि सरकार को पहले नेटवर्क, डेटा सुरक्षा और एप की कार्यक्षमता सुनिश्चित करनी चाहिए थी।
जस्टिस एम. एस. भट्टी की एकलपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सरकार के जवाब को रिकॉर्ड में शामिल कर अगली सुनवाई की तारीख 3 दिसंबर तय की। अदालत ने संकेत दिया कि अगले चरण में एप की तकनीकी संरचना और सुरक्षा मानकों पर विस्तृत सुनवाई हो सकती है।
