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जबलपुर जिला कोर्ट ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को मानहानि मामले में तलब किया, पढ़ें पूरी खबर

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Published On: 27 September 2025

जबलपुर जिला कोर्ट ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को 12 नवम्बर 2025 को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश तुलसीपीठाधीश्वर जगतगुरु रामभद्राचार्य के शिष्य रामप्रकाश अवस्थी द्वारा दायर मानहानि के परिवाद पर दिया गया है। आरोप है कि शंकराचार्य ने 28 अगस्त 2025 को एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जगतगुरु रामभद्राचार्य के खिलाफ अपमानजनक और भ्रामक टिप्पणियां की।

विवादित बयान का विवरण

परिवादित इंटरव्यू में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जगतगुरु रामभद्राचार्य की गवाही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अमान्य ठहराई गई थी और उनके बयान का राम मंदिर से जुड़े किसी निर्णय पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने इसे “झूठ का प्रोपेगैंडा” करार दिया। इसके अलावा शंकराचार्य ने रामभद्राचार्य के शारीरिक दोषों का जिक्र करते हुए कहा कि शास्त्रों के अनुसार अंधे व्यक्ति को आचार्य जगतगुरु नहीं माना जा सकता। इस बयान को परिवादी ने सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला और सनातन धर्म में अफवाह फैलाने वाला बताया।

प्रधानमंत्री पर टिप्पणी

इसी इंटरव्यू में शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गौहत्या से जोड़कर टिप्पणी की और राष्ट्रपति के आदेशों पर सवाल उठाए। इस तरह के बयान को परिवादी ने भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत दंडनीय अपराध बताया।

FIR की मांग

रामप्रकाश अवस्थी ने परिवाद में मांग की है कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 256, 399 और 302 तथा IT Act की धारा 66A और 71 के तहत अपराध दर्ज किया जाए। कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी किया और शंकराचार्य को व्यक्तिगत रूप से 12 नवम्बर को हाजिर होने के निर्देश दिए।

इस मामले में अदालत की सुनवाई से पहले ही विवाद काफी बढ़ गया है। शिष्य ने आरोप लगाया है कि शंकराचार्य के बयान ने न केवल रामभद्राचार्य की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, बल्कि धर्म और समाज में तनाव को भी बढ़ावा दिया। अदालत अब इस मामले में कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से जांच करेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी।

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