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जबलपुर मंदिर-मस्जिद विवाद, जांच रिपोर्ट से बढ़ा विवाद; प्रशासन बैकफुट पर

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Published On: 15 July 2025

जबलपुर | मध्य प्रदेश के जबलपुर के रांझी क्षेत्र की जमीन को लेकर मंदिर और मस्जिद के बीच उपजे विवाद ने तब तूल पकड़ लिया जब प्रशासन की एक जांच रिपोर्ट सोशल मीडिया पर सार्वजनिक हो गई। रिपोर्ट में दावा किया गया कि विवादित स्थल पर कभी मंदिर था ही नहीं और मस्जिद का निर्माण उस जमीन पर हुआ, जिस पर पूर्व से ही उसका मालिकाना हक था। यह जानकारी सामने आते ही हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश फैल गया और जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो गए।

12 जुलाई को पोस्ट शेयर

प्रशासन के आधिकारिक फेसबुक पेज पर 12 जुलाई को शेयर की गई पोस्ट में लिखा गया था कि मस्जिद का निर्माण बंदोबस्त (1990 से पूर्व) से पहले ही संबंधित पक्ष के कब्जे वाली जमीन पर किया गया था। मौके पर मंदिर की मौजूदगी या मंदिर की जमीन पर मस्जिद बनने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। हालांकि, पोस्ट साझा होने के कुछ ही घंटों बाद विवाद को देखते हुए इसे डिलीट कर दिया गया। कलेक्टर की जानकारी के बिना पोस्ट साझा करने को लेकर रांझी के तत्कालीन एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी को हटा दिया गया और उनकी जगह ऋषभ जैन को जिम्मेदारी सौंपी गई।

सड़कों पर उतरें कार्यकर्ता

इस घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। सोमवार को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर का प्रतीकात्मक अर्थी जुलूस निकाला। पुलिस ने उन्हें मस्जिद की ओर बढ़ने से रोका। हालांकि, दो घंटे के विरोध के बाद संगठनों ने चेतावनी देकर आंदोलन स्थगित कर दिया। मंगलवार को जिलेभर में 42 स्थानों पर प्रदर्शन का ऐलान भी किया गया था, जिसे बाद में विश्व हिंदू परिषद ने वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के बाद स्थगित कर दिया।

हिंदू संगठनों का आरोप

विवाद की जड़ रांझी के ग्राम मड़ई में स्थित मस्जिद में किए जा रहे अतिरिक्त निर्माण से जुड़ी है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि मस्जिद खसरा नंबर 169 पर बनी है, जो गायत्री बाल मंदिर ट्रस्ट की भूमि है। जबकि मस्जिद कमेटी का कहना है कि मस्जिद 1980 से पहले से मौजूद है और भूमि पर उनका वैध मालिकाना हक है। कमेटी के अनुसार, खसरा 165 और 166 में मस्जिद का नाम दर्ज था, लेकिन प्रशासनिक गलती से एक खसरे से नाम हट गया, जिसे सुधारने की प्रक्रिया जारी है।

जानकारी शेयर

नई नियुक्त एसडीएम ऋषभ जैन ने माना कि पोस्ट बिना कलेक्टर की जानकारी शेयर की गई थी और इससे भ्रम की स्थिति बनी। उन्होंने स्पष्ट किया कि मामला कलेक्टर न्यायालय में लंबित है और सभी पक्षों को संयम बरतने की सलाह दी गई है।

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