MP हाईकोर्ट में गुरुवार को मल्टीलेवल पार्किंग और आधुनिक लॉयर्स चेंबर निर्माण को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शासन की सुस्ती पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने सवाल उठाया कि 6 माह पहले सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद भी वित्तीय स्वीकृति और निर्माण कार्य क्यों लंबित है।
याचिकाकर्ता और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 4 मई 2025 को 117 करोड़ रुपए की लागत से भूमिपूजन कर दिया था। इसके बावजूद निर्माण शुरू नहीं हुआ। याचिकाकर्ता ने कहा कि रोजाना हाईकोर्ट के बाहर जाम और वकीलों की असुविधा बढ़ रही है। उनका कहना है कि मामले को जानबूझकर लंबित रखा जा रहा है, जो जनहित के खिलाफ है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने दिया जवाब
सुनवाई में शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है और स्वीकृति मिलने के बाद जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि विधानसभा सत्र की कार्रवाई के कारण समय सीमा स्पष्ट नहीं की जा सकती, लेकिन शासन अपने वादे पर प्रतिबद्ध है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अगर बाकी विभागों के लिए पैसा है तो हाईकोर्ट के लिए क्यों नहीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय में देरी उचित नहीं है और यदि शासन ऐसा करता रहा तो कोर्ट आवश्यक आदेश पारित करेगा।
17 दिसंबर को अगली सुनवाई
कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए 17 दिसंबर तक संपूर्ण रिपोर्ट पेश करने को कहा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि निर्माण कार्य शुरू करने में देरी शासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भूमिपूजन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जस्टिस के सामने हुआ, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ, जो बेहद निराशाजनक है। बार एसोसिएशन ने जोर देकर कहा कि लॉयर्स चेंबर और मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण अत्यंत जरूरी है। वकीलों को रोजाना हाईकोर्ट परिसर में पार्किंग की समस्या और असुविधा का सामना करना पड़ता है। निर्माण का देर से होना न सिर्फ वकीलों बल्कि आम जनता की सुविधा पर भी असर डाल रहा है।
