MP हाईकोर्ट ने राज्य में जजों और उनके परिवारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए गुरुवार को स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच के सामने राज्य सरकार ने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें दावा किया गया कि जजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक नीति और रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने कोर्ट को बताया कि बीते समय में जजों पर हुए हमलों या धमकी भरी घटनाओं में संबंधित आरोपियों पर FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाई जा रही है। सरकार ने यह भी कहा कि सुरक्षा को लेकर एक नई, ठोस और व्यवहारिक नीति का मसौदा तैयार हो रहा है, जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भरोसे से जुड़ा मुद्दा
बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा सीधे-सीधे आम नागरिकों के भरोसे से जुड़ा मुद्दा है। कोर्ट ने कहा कि यदि जज ही असुरक्षित रहेंगे तो न्याय प्रणाली पर लोगों का विश्वास कैसे मजबूत रह पाएगा। अदालत ने सरकार की प्रस्तुत रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई 8 जनवरी 2026 तय की। सुनवाई में हाल ही में अनूपपुर में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अमनदीप सिंह छाबड़ा के आवास पर हुए हमले का भी उल्लेख हुआ। इस घटना के बाद पुलिस ने एक थाना प्रभारी को निलंबित किया और चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। कोर्ट ने इसे अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं न्याय प्रणाली पर सीधा दबाव डालने की कोशिश हैं।
2016 की मंदसौर घटना से जुड़ा मामला अब भी लंबित
हाईकोर्ट ने याद दिलाया कि 23 जुलाई 2016 को मंदसौर में जिला अदालत के न्यायाधीश राजवर्धन गुप्ता पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हमला हुआ था। इस घटना पर तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल ने जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा की थी, जिस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू हुई थी। लेकिन नौ साल बाद भी सुरक्षा से जुड़े कई निर्देश लागू नहीं हो पाए हैं। कोर्ट की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार की पिछली सुरक्षा रिपोर्ट और हाईकोर्ट की आंतरिक रिपोर्ट के बीच कई विरोधाभास पाए गए हैं। कोर्ट ने इस स्थिति पर असंतोष जताते हुए सरकार से नई और स्पष्ट स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
