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रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में हंगामा, छात्रों का आरोप; सुविधाओं में कटौती

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Published On: 27 November 2025

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में गुरुवार को कार्य परिषद की बैठक के दौरान छात्रों और प्रशासन के बीच हंगामा हो गया। बैठक के अंदर अधिकारी और शिक्षक मौजूद थे, वहीं बाहर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के कार्यकर्ता पुंगी बजाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने बड़ी संख्या में पहुंचकर छात्रों को बाहर हटाया। NSUI ने आरोप लगाया कि कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा के कार्यकाल में छात्र-सुविधाओं में लगातार कटौती हो रही है। अध्यक्ष सचिन रजक ने कहा कि परीक्षा प्रबंधन, प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर लैब और छात्र कल्याण से जुड़े सभी क्षेत्र प्रभावित हैं। छात्रों का कहना है कि प्रशासनिक अव्यवस्था का सीधा असर उनके शैक्षणिक भविष्य पर पड़ रहा है।

हंगामे का माहौल

कार्यकर्ताओं ने IQAC कक्ष के बाहर पुंगी बजाकर और नारेबाजी करके बैठक में प्रवेश करने का प्रयास किया। पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने कई बार रोकने की कोशिश की। छात्रों की कोशिशों के चलते बैठक बाधित हो गई और अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। हल्की झूमाझटकी की स्थिति भी बन गई। हंगामे के बाद कुलसचिव और अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. विवेक मिश्रा बाहर आए और छात्रों से बातचीत की। छात्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय में न केवल परीक्षाओं के परिणाम गलत आ रहे हैं, बल्कि कई कोर्सों के परिणाम महीनों से लंबित हैं। छात्रों को डिग्री और मार्कशीट प्राप्त करने में भी देरी का सामना करना पड़ रहा है।

युवा उत्सव और विभागों की हालत

NSUI के अध्यक्ष ने कहा कि युवा उत्सव में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं नहीं दी गई। न चेंजिंग रूम, न रहने-खाने की व्यवस्था और न ही प्रमाण-पत्र या मेडल का वितरण किया गया। छात्रों ने कंप्यूटर साइंस विभाग में कंप्यूटर और लैब की कमी, कृषि संकाय में प्रयोगशालाओं की अनुपस्थिति और पत्रकारिता विभाग के जर्जर स्टूडियो का भी जिक्र किया।

छात्रों ने बताया कि कुलगुरु के आवास पर हाल ही में 50,000 रुपए की क्रॉकरी खरीदी गई, जबकि छात्र सुविधाओं के लिए धन नहीं दिया गया। इसके अलावा कुलगुरु के खिलाफ कई न्यायालयीन मामले लंबित हैं, जिनमें महिला अधिकारी से छेड़छाड़ और नियुक्ति विवाद शामिल हैं। छात्रों का कहना है कि ऐसे आरोपों के बावजूद प्रशासन का नेतृत्व उसी व्यक्ति के हाथों में होना विश्वविद्यालय और छात्रों दोनों के लिए हानिकारक है।

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