भोपाल | मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर प्रदेश में विकास योजनाओं में नवाचार को प्राथमिकता दी जा रही है। इस कड़ी में हरदा जिले में चलाया जा रहा हृदय अभियान स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के क्षेत्र में एक समन्वित प्रयास के रूप में सामने आया है। राज्य नीति आयोग ने इस अभियान की सराहना करते हुए इसे नवाचार का प्रभावी मॉडल बताया है।
हरदा जिले में मातृ और शिशु स्वास्थ्य, पोषण स्तर और शैक्षणिक स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से शुरू किए गए इस अभियान के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। आंकड़ों के अनुसार, जिले में कुपोषण की दर में कमी आई है, हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और शाला त्यागी बच्चों को दोबारा स्कूल से जोड़ा गया है।
अभियान की शुरुआत
हृदय अभियान की शुरुआत जनजातीय क्षेत्रों में कुपोषण और शिक्षा की कमजोर स्थिति को देखते हुए की गई। जिले के दूरस्थ 50 गांवों को चयनित किया गया, जहां गर्भवती महिलाओं और बच्चों की समस्याएं अधिक गंभीर थीं। स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त दल ने घर-घर जाकर सर्वे किया और समस्याओं की पहचान की।
समग्र हस्तक्षेप
गर्भवती महिलाओं का पंजीयन, टीकाकरण और हाई रिस्क मामलों की निगरानी ग्राम और संस्था स्तर पर की गई। जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना जैसे सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी देने और भुगतान से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए शिविर लगाए गए। आयरन और कैल्शियम टेबलेट, पोषण सलाह और नियमित जांच जैसी सेवाएं भी प्रदान की गईं।
कुपोषित बच्चों के लिए विशेष पोषण योजना तैयार की गई। उन्हें दिन में दो बार फ्लेवर युक्त मुनगा ग्रेन्यूल और दूध पाउडर दिया गया। परिणामस्वरूप 225 अति कुपोषित बच्चों को सामान्य पोषण स्तर में लाया गया।
शिक्षा में पुनर्संलग्नता
अभियान के तहत शाला त्यागी बच्चों को चिन्हित किया गया और जनशिक्षकों, प्रधानाध्यापकों की मदद से 562 बच्चों को पुनः विद्यालयों में दाखिला दिलाया गया। इससे जिले के शिक्षा सूचकांक में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
समग्र प्रबंधन और परिणाम
स्वास्थ्य सर्वेक्षण में चिन्हित 739 गर्भवती महिलाओं का समग्र आईडी तैयार कर बैंक खाते खोले गए और संस्थागत प्रसव की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई। टिमरनी, खिरकिया और हंडिया जैसे ब्लॉकों में कुल 93 बच्चों को टीकाकरण सेवाएं मिलीं। गांवों में आयोजित स्वास्थ्य शिविरों से स्थानीय लोगों को सीधे लाभ मिला।
राज्य नीति आयोग ने हृदय अभियान को अन्य जिलों में लागू किए जाने योग्य मॉडल बताया है। जिला प्रशासन, विभिन्न विभागों और फील्ड कर्मचारियों के साझा प्रयास से यह अभियान जन-कल्याण का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरा है।
