भोपाल | मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने महिलाओं के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। MP सरकार ने महिलाओं को शर्तों के साथ शॉपिंग मॉल, बाजार-कारखाने और प्रोडक्शन यूनिट में काम करने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके लिए महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित प्रोटोकॉल का पालन नियोक्ता (एम्प्लॉयर) एजेंसी को करना होगा।
प्रदेश सरकार का मानना है कि इस निर्णय से महिला कर्मचारियों के लिए आर्थिक प्रगति के द्वार खुलेंगे तो वहीं दूसरी ओर कारोबारियों और उद्योगपतियों को अपनी यूनिट्स का कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस कदम से प्रदेश के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
महिलाओं के लिए करनी होगी ये व्यवस्थाएं
- नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं से लिखित सहमति लेना अनिवार्य होगा।
- नियोक्ता एजेंसी को सुनिश्चित करना होगा कि जहां महिला से काम लिया जा रहा है, वहां कम से कम 5 महिलाएं ड्यूटी पर हों।
- महिला कर्मचारियों के आवागमन के लिए पर्याप्त परिवहन व्यवस्था उपलब्ध करानी होगी।
- कार्यस्थल पर ऐसा वातावरण सुनिश्चित करना होगा जिसमें महिलाओं को काम करने में असुविधा न हो।
- कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए पानी, शौचालय, भोजन और विश्राम कक्ष जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी।
- कार्यस्थल पर सीसीटीवी कैमरे और उचित रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
- कार्यस्थल पर प्रवेश और निकास द्वार पर महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती अनिवार्य होगी।
- लैंगिक उत्पीडन निवारण अधिनियम’ के प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य होगा।
- किसी भी महिला कर्मचारी को मातृत्व लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
एक-तिहाई कर्मचारी अनिवार्य
कारखाना अधिनियम की शक्तियों का उपयोग करते हुए 26 जून 2016 के नियमों को समाप्त कर यह तय किया है कि महिलाएं चाहें तो रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी कारखाने या प्रोडक्शन यूनिट में काम कर सकती हैं। कारखानों और प्रोडक्शन यूनिट्स में महिलाओं के रात्रि शिफ्ट में काम करने के दौरान सुपरवाइजर, शिफ्ट इन-चार्ज, फोरमैन या अन्य सुपरवाइजर कर्मचारियों में कम से कम एक तिहाई महिला कर्मचारियों की उपस्थिति होनी चाहिए।