नई दिल्ली | केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मंगलवार को गुजरात के आणंद में अमूल और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया। यह आयोजन सहकारिता मंत्रालय के चार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हुआ। इस दौरान देशभर से आई सहकारी समितियों की महिला प्रतिनिधियों और सदस्यों से संवाद भी किया गया।
अमित शाह ने इस अवसर पर घोषणा की कि देश में उत्पादन और अनाज विपणन से जुड़ी 2 लाख नई प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (PACS) बनाई जाएंगी। डेयरी क्षेत्र में तीन नई सहकारी समितियां और एक सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी, जिससे सहकारिता आंदोलन को नई दिशा मिलेगी।
प्रतिनिधियों ने शेयर किए अनुभव
धार जिले की रुचिका परमार ने बताया कि उनकी नौगांव PACS में 2508 सदस्य हैं और सालाना लगभग 15 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। संस्था खाद वितरण, समर्थन मूल्य पर खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का संचालन करती है। उनके पास एक एकड़ अनुपयोगी जमीन है, जहां मैरिज गार्डन खोलने का प्रस्ताव है।
शाह ने रुचिका से पूछा कि जमीन कितनी है। उन्होंने बताया- 1 एकड़। इस पर शाह ने कहा, “जिला सहकारी बैंक से डिटेल लाओ, हम लोन दिलवाएंगे। PACS को आय बढ़ाने के लिए नई गतिविधियों की ओर बढ़ना होगा।”
उन्होंने सुझाव दिया कि हर घर नल योजना का मेंटेनेंस, CSC सेंटर, डेयरी, माइक्रो ATM, बैंक मित्र जैसी सेवाएं PACS के जरिए चलाई जाएं।
आधुनिक खेती से बढ़ा मुनाफा
धार के नालछा की किसान सुदामा अछालिया ने बताया कि उन्होंने मल्चिंग और ड्रिप तकनीक से टमाटर, मक्का और सोयाबीन की खेती शुरू की है। PACS से बिना ब्याज लोन भी मिलता है। अब मुनाफा 25% से बढ़कर 75% हो गया है।
PACS के सदस्य बनकर, डेयरी समितियों से जुड़कर, ऋण समितियाँ बनाकर, रोजगार पाकर और कंप्यूटर व डिजिटल शक्ति से संपन्न होकर सुदूर गाँवों की महिलाओं के चेहरे पर जब आत्मसम्मान की मुस्कान आती है, तब सहकारिता का असल महत्त्व पता चलता है।#SahkarSamvaad pic.twitter.com/4uOsI4GOmL
— Amit Shah (@AmitShah) July 9, 2025
शाह ने उन्हें सरकारी एग्री ट्रेड ऐप पर रजिस्ट्रेशन की सलाह दी, ताकि बाजार मूल्य अगर MSP से अधिक हो तो फसल बाजार में बेची जा सके और कम हो तो सरकार खरीद सके। सुदामा ने मक्का बोने की हैंड मशीन को सोसाइटी के माध्यम से सब्सिडी पर उपलब्ध कराने का सुझाव दिया, जिस पर शाह ने कहा, “नई योजना के तहत PACS ऐसी मशीनें खरीदकर किराए पर दे सकती हैं।”
नेपियर घास और मशरूम से कमाई
रायसेन जिले के सलामतपुर PACS के कुंवर सिंह दांगी ने बताया कि उन्होंने 50 एकड़ में नेपियर घास लगाई है, जिससे प्रति एकड़ ₹1 लाख तक का लाभ मिल रहा है। एक मशरूम कंपनी से टाईअप भी किया गया है। वे पीएम अन्न भंडारण योजना के तहत 3000 टन क्षमता का गोदाम बनाने की तैयारी में हैं।
शाह ने उन्हें PACS बायलॉज संशोधन का लाभ उठाने और जिला सहकारी बैंक के इंस्पेक्टर्स से मार्गदर्शन लेने को कहा।
जनऔषधि केंद्र आय का नया स्रोत
खरगोन जिले के वीरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि उनकी समिति जनऔषधि केंद्र चला रही है, जहां 50% से 90% तक सस्ती दवाएं मिलती हैं। 6 माह में करीब 8 लाख की बिक्री हुई है। एक B-Pharma केमिस्ट नियुक्त किया गया है और प्रचार के लिए घर-घर पर्चे बांटे गए हैं।
शाह ने पूछा कि अस्पताल से कितनी दूरी पर केंद्र है। वीरेंद्र ने कहा- 300 मीटर। इस पर शाह ने कहा, “गांव में पर्चे लगवाओ कि BP की दवा सिर्फ 10% रेट पर मिलती है, इससे केंद्र और लोकप्रिय होगा।” उन्होंने यह भी पूछा कि क्या डॉक्टर जनऔषधि की दवाएं लिखते हैं, जिस पर वीरेंद्र ने सकारात्मक जवाब दिया।
“PACS को केवल खाद वितरण तक सीमित न रखें”
कार्यक्रम के अंत में अमित शाह ने सभी प्रतिनिधियों से कहा कि PACS को केवल खाद वितरण तक सीमित न रखा जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि समितियां खाली जमीन का उपयोग करें, मशीनें किराए पर दें, जनऔषधि केंद्र खोलें और नई तकनीकों को अपनाएं, ताकि गांव आत्मनिर्भर बनें और समितियां लाभ में रहें।