बिहार में विधानसभा चुनाव के बीच जदयू अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति मजबूत होती दिख रही है। लंबे समय के बाद उनके पुराने सहयोगी एक बार फिर पार्टी में लौट आए हैं। जहानाबाद के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता डॉ. अरुण कुमार ने आज अपने बेटे ऋतुराज कुमार सहित कई समर्थकों के साथ जदयू में सदस्यता ग्रहण की।
डॉ. अरुण कुमार को पार्टी की सदस्यता जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह तथा राज्यसभा सांसद संजय झा ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय में दिलाई। इस अवसर पर उनके साथ कई सैकड़ों समर्थक और स्थानीय नेता मौजूद रहे।
ऋतुराज के चुनावी कदम
जानकारी के मुताबिक, डॉ. अरुण के बेटे ऋतुराज कुमार इस बार घोसी सीट से जेडीयू का उम्मीदवार हो सकते हैं। इससे पार्टी को उस क्षेत्र में स्थानीय और पारिवारिक पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी।
इस कार्यक्रम की शुरुआत पहले ही तय थी, लेकिन सितंबर में बीजेपी के ‘बिहार बंद’ की वजह से इसे आगे टाल दिया गया था। आज का समारोह पूरी तैयारी के साथ संपन्न हुआ और जदयू ने अपने पुराने सहयोगियों को गरिमा और सम्मान के साथ स्वागत किया।
जदयू की बढ़ती पकड़
डॉ. अरुण कुमार की वापसी को भूमिहार समुदाय में नीतीश कुमार की पकड़ मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम राजद के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में जदयू के लिए रणनीतिक लाभ लेकर आएगा।
कार्यक्रम में विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के उपनेता ललन कुमार सर्राफ, मुख्य सचेतक संजय कुमार सिंह उर्फ़ गांधी जी, पूर्व सांसद और अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, विधान परिषद सदस्य संजय सिंह और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
चुनावी रणनीति
विशेषज्ञों के अनुसार, यह वापसी नीतीश कुमार की रणनीतिक चाल का हिस्सा है, जिसमें पार्टी अपने पुराने और प्रभावशाली सहयोगियों को शामिल करके स्थानीय स्तर पर समर्थन जुटाना चाहती है।
डॉ. अरुण कुमार की जदयू में वापसी संदेश देती है कि पार्टी भूमिहार समुदाय और पारिवारिक नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि आगामी चुनाव में राजद और अन्य प्रतिद्वंदियों को चुनौती दी जा सके।
