‘मेक इन इंडिया’ को मिली रफ्तार, भारत में बनेगी जेवलिन मिसाइल; आत्मनिर्भर रक्षा की ओर बड़ा कदम

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Published On: 16 July 2025

नई दिल्ली | भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है। अमेरिका की अत्याधुनिक और विश्वविख्यात जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइ को भारत में ही बनाने की योजना तेज़ी से आगे बढ़ रही है। मेक इन इंडिया के तहत यह संयुक्त निर्माण भारत की रक्षा क्षमताओं को नई दिशा देगा। यूक्रेन युद्ध में रूसी टैंकों के खिलाफ इस मिसाइल की बेमिसाल कामयाबी ने इसकी मारक क्षमता को दुनिया के सामने साबित किया है। जेवलिन मिसाइल “फायर एंड फॉरगेट” तकनीक पर आधारित है, जो दुश्मन के टैंकों को बेहद सटीकता से नष्ट कर सकती है और इसकी खासियत यह है कि इसे एक सैनिक भी कंधे से दाग सकता है। भारत की भौगोलिक परिस्थिति, विशेष रूप से हिमालयी और पहाड़ी सीमाओं को देखते हुए, यह मिसाइल हमारे सैनिकों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। इसके निर्माण से न केवल भारत की सैन्य तैयारियों को बल मिलेगा, बल्कि विदेशी हथियारों पर निर्भरता भी घटेगी।

भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। अमेरिका की अत्याधुनिक जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल को अब भारत में ही बनाने की योजना पर काम तेजी से चल रहा है। इस परियोजना में दोनों देशों की कंपनियां मिलकर उत्पादन करेंगी, जिससे भारत को उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ मिलेगा।

जेवलिन मिसाइल क्या है? (FGM-148 Javelin)

जेवलिन एक आधुनिक थर्ड जनरेशन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है जिसे अमेरिका की कंपनियों Raytheon और Lockheed Martin ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह खास तौर पर बख्तरबंद टैंकों और फोर्टिफाइड लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए बनाई गई है।यह मिसाइल एक बार लक्ष्य लॉक होने के बाद, ऑपरेटर को मिसाइल का मार्गदर्शन नहीं करना पड़ता। मिसाइल खुद-ब-खुद लक्ष्य तक पहुंचती है। यह टैंक के ऊपर से हमला करती है जहाँ उसका कवच सबसे कमजोर होता है। जरूरत पड़ने पर डायरेक्ट अटैक मोड में भी इस्तेमाल की जा सकती है (जैसे इमारतों में छिपे दुश्मन के खिलाफ)। इसमें एक IIR (Imaging Infrared) seeker होता है, जो लक्ष्य की गर्मी पहचानकर निशाना साधता है। इसका वजन लगभग 22 किलो और लंबाई लगभग 1.1 मीटर है। इसकी रेंज 65 मीटर से लेकर 2.5 किलोमीटर तक होती है, जबकि नए संस्करण में यह रेंज 4 किलोमीटर तक बढ़ गई है।

जेवलिन मिसाइल की कीमत प्रति यूनिट लगभग 1 लाख 75 हजार से 2 लाख 50 हजार अमेरिकी डॉलर के बीच है। भारत में इसके निर्माण के शुरू होते ही कीमतों में कमी आ सकती है, जिससे यह मिसाइल भारतीय सेना के लिए और भी किफायती हो जाएगी।

भारत “मेक इन इंडिया”

भारत “मेक इन इंडिया” को इसलिए चाहता है क्योंकि इससे देश को कई रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी लाभ मिलते हैं, विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र में। भारत की सेना को ऐसे हथियारों की जरूरत है जो कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी असरदार हों, जैसे जेवलिन मिसाइलें। भारत स्वदेशी उत्पादन से आत्मनिर्भर बनना चाहता है, जिससे विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होगी। भारत के सीनियर डिफेंस अधिकारियों ने अमेरिका को लेटर सौंप दिया है और बातचीत अंतिम चरण में है। इस कदम से भारत की विदेशी हथियारों पर निर्भरता घटेगी और देश अपनी जरूरत के हिसाब से मिसाइलों का उत्पादन कर सकेगा।

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को नई गति

हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी पीट हेगसेथ के बीच हुई बातचीत में दोनों देशों ने रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति जताई। यह वार्ता भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इससे पहले GE-414 जेट इंजन के भारत में निर्माण को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी। अब जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल के को-प्रोडक्शन को लेकर भी बातचीत आगे बढ़ रही है। इस मिसाइल का निर्माण अमेरिका की प्रमुख रक्षा कंपनियां रेथियॉन और लॉकहीड मार्टिन करती हैं। इसके संयुक्त उत्पादन से न केवल भारत की रक्षा क्षमता में इज़ाफा होगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी नई दिशा मिलेगी।

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