रक्षाबंधन की शाम को शहर के बड़े मॉल्स में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। जैसे ही सूरज ढलने लगता है, मॉल की चकाचौंध लाइटें माहौल को और भी रंगीन बना देती हैं। प्रवेश द्वार पर रंग-बिरंगी झालरों और राखी थीम वाले फोटो प्वॉइंट्स के सामने लोग सेल्फी और ग्रुप फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहते हैं। परिवार, खासकर बहनें और भाई, पारंपरिक परिधान में सज-धजकर आते हैं, जिससे मॉल के गलियारे त्योहार के रंग में पूरी तरह रंग जाते हैं।
फूड कोर्ट की ओर रुख करें तो वहां भीड़ का आलम अलग ही होता है। भाई अपनी बहनों को पसंदीदा डिशेज़ खिलाते हैं — कहीं पिज़्ज़ा और पास्ता की खुशबू है, तो कहीं चाट और गोलगप्पों के ठहाके गूंज रहे हैं। मिठाई की दुकानों के काउंटर पर रसगुल्ला, गुलाब जामुन और चॉकलेट्स के पैकेट तेजी से बिकते हैं। कई रेस्टोरेंट्स ने ‘रक्षाबंधन स्पेशल थाली’ भी पेश की होती है, जिसे भाई-बहन मिलकर चखते हैं।
भाई दिलाते हैं गिफ्ट
शाम का समय शॉपिंग के लिहाज से भी सबसे व्यस्त होता है। गिफ्ट शॉप्स, कॉस्मेटिक्स, फैशन स्टोर्स और ज्वेलरी काउंटर पर ग्राहकों की लंबी कतारें लग जाती हैं। भाई आखिरी समय में बहनों के लिए पर्स, घड़ी, ज्वेलरी या फिर कोई पर्सनलाइज्ड गिफ्ट चुनते नजर आते हैं। वहीं, बहनें भी अपने भाइयों के लिए टाई, शर्ट या परफ्यूम खरीदने में मशगूल रहती हैं। कई मॉल्स में ब्रांड्स की तरफ से ‘बाय वन गेट वन’ या ‘फेस्टिव डिस्काउंट’ ऑफर चलते हैं, जिससे भीड़ और बढ़ जाती है।
मॉल के सेंटर एट्रियम में अक्सर इस मौके पर लाइव म्यूजिक, डांस परफॉर्मेंस या राखी थीम वाले फैशन शो का आयोजन होता है। बच्चे ‘भाई-बहन बंधन’ पर आधारित ड्रामा या कविताएं सुनाकर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। छोटे बच्चों के लिए फेस पेंटिंग और गुब्बारा आर्ट जैसे कोने भी लगाए जाते हैं, जहां वे खूब मस्ती करते हैं।
हंसी-मजाक
सिनेमा हॉल में भी भीड़ कम नहीं होती। कई परिवार शाम को फिल्म देखने का प्लान बना लेते हैं, ताकि त्योहार का समापन एक साथ बिताए समय से हो। पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक के साथ भाई-बहन का हंसी-मजाक चलता रहता है। शाम ढलते-ढलते मॉल का माहौल और भी खुशनुमा हो जाता है। चारों तरफ हंसी की आवाज़ें, बच्चों की खिलखिलाहट और खरीदारी की चहल-पहल गूंजती है। मॉल का स्टाफ भी त्योहार में शामिल होता है। कई जगह पर कर्मचारियों ने खुद भी राखियां बांधकर उत्सव को साझा किया।
चेहरे पर दिखती है खुशी
रात करीब 9-10 बजे तक जब लोग लौटने लगते हैं, तो उनके चेहरों पर संतोष और खुशी साफ झलकती है। कोई हाथ में शॉपिंग बैग लिए है, तो कोई भाई-बहन के साथ खींची गई तस्वीरों को मोबाइल में स्क्रॉल कर रहा है। रक्षाबंधन की यह शाम न सिर्फ रिश्तों को मजबूत करती है, बल्कि मॉल को भी एक ऐसा मंच बना देती है, जहां परंपरा और आधुनिकता एक साथ जश्न मनाते हैं।
