UIDAI का बड़ा कदम; फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम, मृतकों के आधार नंबर होंगे अब निष्क्रिय

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Published On: 14 July 2025

नई दिल्ली | UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) ने हाल ही में एक अहम कदम उठाया है, जिसका उद्देश्य मृत व्यक्तियों के आधार नंबरों के गलत इस्तेमाल को रोकना है। देश में करोड़ों लोगों के पास आधार कार्ड है, लेकिन जब कोई व्यक्ति निधन हो जाता है, तो अक्सर उनका आधार नंबर लंबे समय तक सिस्टम में सक्रिय बना रहता है। इससे धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाती है — जैसे कि मृत व्यक्ति के नाम पर बैंक अकाउंट चलाना, सब्सिडी लेना, या अन्य सेवाओं का गलत फायदा उठाना। इस अभियान के तहत मृत व्यक्तियों के आधार नंबर को बंद (निष्क्रिय) किया जा रहा है, ताकि कोई भी उनका दुरुपयोग न कर सके।

UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत मृत व्यक्तियों के आधार नंबर को निष्क्रिय (Deactivate) किया जा रहा है, ताकि उनका गलत इस्तेमाल न हो सके।

UIDAI क्या है?

UIDAI का पूरा नाम Unique Identification Authority of India (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) है। यह भारत सरकार की एक वैधानिक संस्था है, जिसे 2009 में स्थापित किया गया था और यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अंतर्गत कार्य करती है। UIDAI का मुख्य कार्य भारत के प्रत्येक निवासी को एक विशिष्ट 12-अंकों की पहचान संख्या (आधार नंबर) प्रदान करना है। आधार डेटा (बायोमेट्रिक व डेमोग्राफिक जानकारी) का सुरक्षित संग्रहण और प्रबंधन करना है। आधार से जुड़े अन्य योजनाओं और सेवाओं के एकीकरण को सक्षम बनाना है (जैसे बैंक, सब्सिडी, पेंशन आदि)।

बिहार में आधार कार्ड में भारी गिरावट

बिहार में कुल 12 करोड़ 9 लाख 36 हजार 645 आधार कार्ड जारी किए गए हैं। लेकिन UIDAI द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत मृत व्यक्तियों के आधार नंबर को निष्क्रिय करने के बाद अब यह संख्या घटकर 11 करोड़ 43 लाख 50 हजार 755 रह गई है। यानी अब तक 65 लाख से अधिक आधार नंबर सिस्टम से हटाए जा चुके हैं। UIDAI के इस अभियान का मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आधार डेटाबेस में केवल जीवित और पात्र लोगों की जानकारी ही मौजूद रहे।

UIDAI के इस अभियान से होने वाले फायदे

  1. बहुत सी योजनाओं जैसे पेंशन, राशन, या DBT (Direct Benefit Transfer) के लाभार्थी आधार से जुड़े होते हैं। मृतकों का रिकॉर्ड हटाने से फर्जी लाभार्थियों की पहचान रोकी जा सकेगी और ज़रूरतमंदों को सही लाभ मिलेगा।
  2. कई बार मृतकों के आधार का उपयोग फर्जी पहचान बनाकर बैंक खाते खोलने, संपत्ति पर कब्जा करने या सरकारी सब्सिडी लेने के लिए किया जाता है। निष्क्रियता से यह रोक लगेगी।
  3. डेटा जितना सटीक होगा, सिस्टम उतना पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगा। इससे UIDAI की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
  4. बिहार में चुनाव नज़दीक हैं, ऐसे में वोटर लिस्ट में मृत व्यक्तियों के नाम हटाना भी जरूरी है। आधार अपडेट से चुनाव आयोग को मदद मिलेगी और बोगस वोटिंग जैसे मामलों में रोकथाम होगी

फर्जी आधार कार्ड और ऑपरेटरों पर कार्रवाई

UIDAI ने हाल ही में कुछ फर्जी आधार कार्ड और आधार केंद्रों पर गड़बड़ियों का भी पता लगाया है। जांच में सामने आया है कि कुछ ऑपरेटर्स ने नियमों को ताक पर रखकर फर्जी कार्ड बनाए हैं। ऐसे ऑपरेटर्स पर जुर्माना लगाया गया है और कई मामलों में लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई भी की जा रही है।

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