भोपाल | मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को मंत्रालय में “सदानीरा जल संसाधन: बहती रहे जल की धारा” नामक पुस्तिका का विमोचन किया। यह जल गंगा संवर्धन अभियान पर केन्द्रित एक दस्तावेज है। कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल और एमएसएमई मंत्री चेतन्य काश्यप भी उपस्थित रहे। सभी ने जल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई।
पुस्तिका में जल संसाधन विभाग द्वारा 30 मार्च से 30 जून तक चलाए गए राज्यव्यापी जल गंगा संवर्धन अभियान की गतिविधियों को संकलित किया गया है।
आम जनता को दी बधाई
मुख्यमंत्री ने अभियान को अभूतपूर्व बताया और संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों और आम जनता को बधाई दी। उन्होंने जल संरक्षण को जीवन रक्षा का साधन बताया। डॉ. यादव ने कहा कि नदियां, तालाब और अन्य जल स्रोत जीवन का आधार हैं। इनका संरक्षण सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि जल संरक्षण का यह अभियान मध्यप्रदेश को देश में अग्रणी राज्य बना रहा है। यह जन-आंदोलन बन चुका है।
मंत्री सिलावट ने कही ये बात
मंत्री सिलावट ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘कैच द रेन’ संकल्प को धरातल पर लाने के लिए यह अभियान शुरू किया गया था। उन्होंने बताया कि ‘खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में’ सिद्धांत पर काम करते हुए अभियान को जनभागीदारी से सफल बनाया गया।अभियान ने जल संरक्षण के प्रति लोगों में गहरी जागरूकता उत्पन्न की है। इसमें आधुनिक तकनीक और स्थानीय संसाधनों का प्रभावी समावेश किया गया है।
जल गंगा संवर्धन अभियान के 90 दिनों के अभूतपूर्व कार्यों का प्रस्तुतिकरण “सदानीरा जल संसाधन-बहती रहे जल की धारा” का भव्य विमोचन
▶️प्रदेश में अभियान के अंतर्गत वृहद कार्यों की पूर्णता में उल्लेखनीय उपलब्धियों पर नजर@DrMohanYadav51 @JansamparkMP@tulsi_silawat
#MadhyaPradesh pic.twitter.com/z6zVodhuJS— Water Resources Department, MP (@minmpwrd) July 9, 2025
डिजिटल मानचित्रण, जलवायु अनुकूल संरचनाएं और तकनीकी उपायों से जल संसाधनों का स्थायित्व और दक्षता बढ़ी है। मंत्री ने कहा कि यह अभियान कृषि, पर्यावरण और जल प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरुआत है। इसने सामुदायिक चेतना को भी जाग्रत किया है।
अभियान की उपलब्धियां
- राज्य के 55 जिलों में 2,190 जल संरचनाओं का कार्य पूरा हुआ। इसमें तालाबों का जीर्णोद्धार, नहरों की सफाई और अतिक्रमण हटाने जैसे कार्य शामिल हैं।
- उज्जैन, इंदौर, नर्मदापुरम, रीवा और सागर सहित कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई। जल संरचनाओं की कार्य क्षमता में उल्लेखनीय सुधार आया।
- जीर्णोद्धार में पिचिंग, बोल्डर टो, पाल पुनर्निर्माण, स्लूस गेट और घाटों की मरम्मत की गई। इससे जल संचयन और प्रवाह की स्थिति बेहतर हुई।
- भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा मिला। मृदा क्षरण में कमी आई। जल संरचनाओं की दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित हुआ।
- नहरों की सफाई और शासकीय संपत्ति के रूप में चिन्हांकन से जल वितरण प्रणाली अधिक पारदर्शी और प्रभावी हुई।
- अतिक्रमण हटने से जल उपयोग में अनुशासन आया। अवैध जल दोहन में भी स्पष्ट गिरावट दर्ज की गई है।
- इंदौर की माता अहिल्या बावड़ी, कनाडिया और रतनतलाई तालाब जैसे ऐतिहासिक जल स्रोतों का जीर्णोद्धार अभियान की खास उपलब्धियां हैं।
- टिगरिया गोगा बैराज का भूमिपूजन भी इस क्रम में उल्लेखनीय है। इससे क्षेत्रीय सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी।
- जनभागीदारी से केरवा बांध की सफाई, विदिशा के जमवार तालाब में श्रमदान और रामनगर में बच्चों के साथ संवाद हुए।
- इन पहलों ने समाज में जल संरक्षण को लेकर स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना को मजबूती दी है।
- मुख्यमंत्री ने इन सफलताओं को साझा उपलब्धि बताया और अभियान को निरंतर जारी रखने का संकल्प लिया।
