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ग्रीन सिटी की ओर कदम, इंदौर में हुआ हरित शहरीकरण पर विचार-विमर्श

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Published On: 11 July 2025

इंदौर | मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025 के तहत इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में ‘भविष्य के लिए सतत हरित शहरीकरण’ विषय पर एक सत्र आयोजित किया गया। इसमें देशभर से आए शहरी नियोजन, पर्यावरण, ऊर्जा और बायो-फ्यूल से जुड़े विशेषज्ञों ने टिकाऊ शहरों के निर्माण पर अपने विचार साझा किए। सत्र में खासतौर पर हरित बुनियादी ढांचे, ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण, वेस्ट मैनेजमेंट, स्मार्ट सिटी और नागरिक भागीदारी जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद प्रमुख सचिव पर्यावरण नवनीत मोहन कोठारी ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि शहरों का विकास इस तरह से हो कि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे और लोगों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो। उन्होंने कहा कि नीति निर्माण में पर्यावरणीय पहलुओं को मजबूती से शामिल किया जा रहा है।

जनता की भागीदारी ज़रूरी

सीएसई की अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि टिकाऊ विकास में जनता की भागीदारी सबसे ज़रूरी है। समुदाय अगर खुद आगे आएं तो ग्रीन प्लानिंग और वेस्ट मैनेजमेंट जैसे काम ज़मीन पर तेज़ी से लागू हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण और वाहन सेक्टर में रीसाइक्लिंग और तकनीकी अपग्रेड ज़रूरी है।

इन लोगों ने रखी अपनी राय

  • वरुण कराड, जो रीएनर्जी डायनेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हैं, ने भविष्य के शहरों के लिए ग्रीन बॉन्ड और पीपीपी मॉडल को अहम बताया। उन्होंने कहा कि कार्बन क्रेडिट जैसे आर्थिक उपायों के सहारे शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों एक साथ संभव हैं।
  • वर्बियो इंडिया के प्रबंध निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि बायोफ्यूल के क्षेत्र में पीपीपी मॉडल और निजी निवेश से स्थायी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है। उन्होंने नीति आधारित समावेशी प्रबंधन पर भी जोर दिया।
  • एसएस गैस लैब एशिया की जयंती गोएला ने कहा कि तेज़ी से हो रहे औद्योगीकरण के बीच हमें ऐसी तकनीकें अपनानी होंगी जिससे कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सके। वहीं, ईकेआई एनर्जी के सिद्धात गुप्ता ने नेट ज़ीरो लक्ष्य, कार्बन मॉनिटरिंग और टिकाऊ योजना की आवश्यकता पर चर्चा की।

सत्र के अंत में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरीकरण की ओर बढ़ते रुझान पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में टिकाऊ योजनाओं की जरूरत अब पहले से कहीं अधिक है।

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