भोपाल | मध्य प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के आधार पर आरोप लगाया है कि राज्य में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं और शासन-प्रशासन का रवैया बेहद लापरवाह है।
किया खुलासा
पटवारी ने खुलासा किया कि बीते चार वर्षों में प्रदेश से कुल 31,801 महिलाएं और नाबालिग बच्चियां लापता हुई हैं। यह संख्या न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है। आंकड़ों के मुताबिक हर दिन औसतन 24 महिलाएं या बच्चियां गायब हो रही हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में अब तक कोई सुराग तक नहीं मिला।
उन्होंने कहा, “जब बेटियां अपने ही घरों से लापता हो जाएं और शासन आंखें मूंद ले, तो यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदनहीनता भी है। सरकार सिर्फ आंकड़े छिपा रही है, ज़मीनी हकीकत बेहद डरावनी है।”
नाबालिग बच्चियां लापता
2021 से 2024 के बीच 28,857 महिलाएं और 2,944 नाबालिग बच्चियां लापता हो चुकी हैं। ज़्यादातर मामलों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई या पुलिस जांच अधूरी रही। जीतू पटवारी ने सरकार पर आरोप लगाया कि “बेटी बचाओ” जैसे नारे अब खोखले हो गए हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और प्रशासनिक मशीनरी लाचार दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि मानव तस्करी, बाल अपराध, बलात्कार और घरेलू हिंसा जैसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और मध्य प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में देशभर में सबसे ऊपर बना हुआ है।
कांग्रेस की चेतावनी
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो पार्टी सड़कों पर उतरेगी और यह मुद्दा विधानसभा से लेकर संसद तक उठाया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, हर एक लापता बेटी एक घर की बिखरती उम्मीद है। कांग्रेस ऐसे हर परिवार के साथ खड़ी है।”
पटवारी ने अंत में कहा कि अगर प्रदेश को महिला सम्मान, सुरक्षा और भरोसे की ज़मीन बनाना है तो बदलाव की जरूरत है और इसके लिए जनता को भाजपा सरकार से जवाब मांगना चाहिए।
