भोपाल | मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के समापन के बाद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज भोपाल में आयोजित प्रेस वार्ता में सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि पूरे सत्र में सरकार जनहित के मुद्दों से बचती रही और महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा से लगातार भागी।
उमंग सिंघार ने कहा कि सरकार की मंशा साफ तौर पर जनविरोधी है। हमने सदन में OBC आरक्षण, आदिवासी अधिकार, युवाओं की बेरोजगारी, श्रमिक कानून और कानून व्यवस्था जैसे कई मुद्दे उठाए, लेकिन सरकार ने हर बार चुप्पी साध ली।
प्रमुख मुद्दे
- सिंघार ने कहा कि सरकार OBC आरक्षण पर चर्चा से भाग रही है। यह सामाजिक न्याय का मामला है, और सरकार की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है। वनाधिकार, जमीन और आदिवासी हितों से जुड़े मामलों पर भी सरकार ने उदासीन रवैया अपनाया। कुछ प्रभावशाली तत्वों द्वारा अवैध जंगल कटाई जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। जनसेवा मित्र, संविदा शिक्षक और अतिथि कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग को सरकार लगातार नज़रअंदाज़ कर रही है।
- नई व्यवस्था के तहत, हड़ताल से पहले पूर्व सूचना देने की बाध्यता से मज़दूरों के अधिकार सीमित हो गए हैं। भोपाल और इंदौर को महानगर घोषित करने के बाद जबलपुर, ग्वालियर और रीवा पर सरकार की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए गए। खाद की किल्लत, मूंग की खरीदी में गड़बड़ी और मुआवज़े में पारदर्शिता की कमी का ज़िक्र करते हुए सिंघार ने कहा कि कृषि संकट पर सरकार की ज़मीनी पकड़ बेहद कमज़ोर है।
- स्टाम्प ड्यूटी में 100% से 400% तक की बढ़ोत्तरी को आमजन पर बोझ करार दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य में पुलिस राज जैसा माहौल है। झूठे मुकदमों के सहारे विपक्षी विधायकों और आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। उमंग सिंघार ने कहा कि 9 करोड़ की आबादी वाले राज्य के लिए इतना छोटा सत्र अस्वीकार्य है। अधिकतर सवालों पर मंत्रियों के जवाब टालमटोल वाले थे। मुख्यमंत्री मौन या अनुपस्थित रहे। यह लोकतंत्र का मज़ाक है।
– विपक्ष की मांग के बाद सरकार ने मूंग की खरीदी तो शुरू की, लेकिन रजिस्ट्रेशन में कमी और गड़बड़ियां यह दर्शाती हैं कि सरकार की नीयत में खोट है।
– क्या अब प्रदेश सरकार विधानसभा से भी बड़ी हो गई है? विपक्ष जनता की आवाज होता है, और सरकार छोटे सत्रों के जरिए उसी आवाज को दबाना चाहती… pic.twitter.com/3WXae7IIU0
— Umang Singhar (@UmangSinghar) August 7, 2025
प्रदीप मिश्रा मामले पर प्रतिक्रिया
पंडित प्रदीप मिश्रा से जुड़े आयोजन पर सिंघार ने कहा, “वह एक विद्वान हैं, लेकिन कानून सबसे ऊपर होता है। यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो ज़िम्मेदारों पर त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।”
