भोपाल | मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पिछले छह साल से ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को 27% आरक्षण देने में जानबूझकर देरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी इस बात का प्रमाण है कि उच्चतम न्यायालय भी राज्य सरकार के प्रयासों को नाकाफी मानता है।
X पर बयान
कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर जारी बयान में कहा, “अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछ लिया है कि सरकार छह साल से सो रही थी? 2019 में मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान OBC को 27% आरक्षण दिया गया था, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे लागू करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।”
अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार से पूछ लिया है कि OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर क्या सरकार छह साल से सो रही थी? सरकार ने छह साल में क्या किया?
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ख़ुद ही बताती है कि 2019 में मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल में OBC को 27प्रतिशत आरक्षण… pic.twitter.com/Lq16CfnTwo
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 13, 2025
“13% पद रोके गए”
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा के षड्यंत्र के कारण पिछले छह साल से OBC के लगभग 13% पद रोके गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस निर्णय से करीब 8 लाख उम्मीदवार प्रभावित हुए हैं और लगभग 3 लाख चयनित उम्मीदवारों के परिणाम अभी तक लंबित हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा संविधान विरोधी है और आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। उसने आरक्षण लागू करने की कोशिश के बजाय उसे रोकने का हर संभव प्रयास किया है।
सुप्रीम कोर्ट में होगी अंतिम सुनवाई
कमलनाथ ने कहा कि अब इस मामले की अंतिम सुनवाई 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी। उन्होंने OBC वर्ग के सभी नागरिकों से अपील की कि वे पूरी तरह सतर्क रहें और सरकार पर दबाव बनाएं ताकि अदालत में OBC आरक्षण के समर्थन में तथ्यात्मक पक्ष रखा जा सके। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि 2019 में कांग्रेस सरकार द्वारा दिया गया 27% आरक्षण लागू होता है, तो यह न केवल लाखों उम्मीदवारों के भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम भी होगा।
गरमाया मुद्दा
कमलनाथ के इस बयान ने राज्य की राजनीति में फिर से आरक्षण मुद्दे को केंद्र में ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले यह मामला और भी गरमा सकता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर लाखों युवाओं के रोजगार और सामाजिक समानता से जुड़ा हुआ है।
