परिणीता के ऑडिशन में विद्या बालन ने विधु विनोद चोपड़ा को दी थी गलियां, स्क्रीन टेस्ट से हो गई थी परेशान

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Published On: 20 August 2025

मनोरंजन | विद्या बालन बॉलीवुड इंडस्ट्री की सबसे बोल्ड ओर बेबाक एक्ट्रेस में से एक हैं। वह एक ऐसी अदाकारा हैं जिन्होंने मुश्किल से मुश्किल किरदारों पर बहुत मेहनत से काम करके उन्हें बखूबी से पर्दे पर उतारा है। उनकी फिल्म परिणीता ने बॉलीवुड में 20 साल पूरे कर लिए हैं।

परिणीता के 20 साल पूरे होने पर निर्माता विधु विनोद चोपड़ा ने एक विशेष स्क्रीनिंग रखी। इस स्क्रीनिंग के दौरान वह यह बताते नजर आए कि किस तरह से बड़ी अभिनेत्री के बीच विद्या ने इस रोल के लिए खुद को फिक्स किया।

बार-बार दिए स्क्रीन टेस्ट

विद्या ने इस रोल के लिए कई सारे ऑडिशन दिए। इस बारे में विधु विनोद चोपड़ा ने कहा कई बड़ी अभिनेत्रियां परिणीता करना चाहती थी। प्रदीप सरकार ने कहा कि चैंबूर की एक नई लड़की है। मैंने कहा इस नई लड़की को परख लो। मैं आमतौर पर एक्टर से स्क्रीन टेस्ट के दौरान नहीं मिलता हूं लेकिन विद्या कई सारे टेस्ट पर कर चुकी थी इसलिए मैंने कहा कि चलो आखिरी टेस्ट ले लेते हैं।

विद्या ने दी गालियां

विद्या इतनी सारी प्रक्रिया से थक चुकी थी तो आखिरी के समय उन्हें गालियां दे रही थी। विद्या बोल रही थी कि वह खुद को क्या समझता है और तब तक उनके 20- 25 टेस्ट हो चुके थे। इन सब के बावजूद भी उनका आखिरी टेस्ट इतना शानदार था की कोई भी इंप्रेस हो जाता।

निकल पड़े विद्या के आंसू

विद्या ने बताया कि वह विधु विनोद चोपड़ा के असिस्टेंट के साथ एक कांसर्ट में थी। जब उन्हें फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि वह बाद में कॉल करेंगी। लेकिन विधु के नहीं मानने पर वापस से विद्या को फोन लगाया गया। चोपड़ा ने फोन पर विद्या से कहा कि “तेरी जिंदगी बदलने वाली है बाहर निकल।” एक्ट्रेस ने कहा कि मैं सोच में पड़ गई थी कि तुम मुझे क्या बताओगे कि मुझे वह रोल नहीं मिला। वह सोच में पड़ गई थी क्योंकि इतने सारे टेस्ट दे चुकी थी। उन्होंने मुझे कहा कि बाहर आओ मैं बाहर गई और फिर उन्होंने कहा कि तुम मेरी परिणीता हो और बस मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे।

 

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कैसी थी कहानी

फिल्म परिणीता साल 2005 में आई एक म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा है। शरद चंद्र चट्टोपाध्याय के इसी नाम के बंगाली उपन्यास से ली गई ये कहानी बहुत शानदार है। इसमें विद्या बालन, संजय दत्त और सैफ अली खान मुख्य भूमिका में थे। 1960 के दशक में कोलकाता की यह कहानी बचपन के दोस्त ललिता और शेखर की है। इनका मासूम प्यार गलतफहमी सामाजिक दबाव और एक अमीर बाहरी व्यक्ति के आने की वजह से चुनौतियों के बीच घिर जाता है।

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